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पूर्व विदेश सचिव का खुलासा, वामदलों की मदद से भारत के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहा चीन, मसूद अजहर पर भी बरगलाया

masood azhar and Jinping

नई दिल्ली। भारत के पूर्व विदेश सचिव विजय गोखले ने सनसनीखेज खुलासा किया है। अपनी किताब The Long Game: How the Chinese Negotiate with India में गोखले ने दावा किया है कि वामपंथी दलों की मदद से चीन हमारे देश के अंदरूनी मामलों दखल दे रहा है। उन्होंने अपनी किताब में यह भी बताया है कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी मसूद अजहर के मामले में किस तरह चीन ने भारत को बरगलाने की कोशिश की। अपनी किताब में विजय गोखले ने उन छह मुद्दों की जानकारी दी है, जो भारत और चीन के बीच काफी महत्वपूर्ण रहे। गोखले विदेश मंत्रालय ने पूर्वी एशिया के संयुक्त सचिव के तौर पर चीन पर काफी रिसर्च की है। 39 साल के अपने करियर में 20 साल विजय गोखले चीन में रहे। इसके अलावा हांगकांग, बीजिंग और ताइवान की राजधानी ताइपे में भी उन्होंने काम किया। 1989 में जब चीन में तियाननमन चौक नरसंहार हुआ, तो विजय गोखले बीजिंग में ही तैनात थे।

गोखले ने मसूद अजहर के बारे में चीन के बरगलाने के बारे में लिखा है कि रूस की मदद से चीन ने अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने के फैसले को रुकवाने की कोशिश की। चीन ने भारत से यह भी कहा कि उसे पाकिस्तान ने बताया है कि जैश-ए-मोहम्मद का कोई अस्तित्व नहीं है और मसूद अजहर अब आतंकी सरगना भी नहीं रहा। चीन के इस बहकावे में भारत नहीं आया और 2019 में मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया।

इस किताब में गोखले ने खुलासा किया है कि किस तरह वामदलों की मदद से चीन हमारे देश के अंदरूनी मामलों में दखल दे रहा है। इसके लिए उन्होंने अमेरिका से हुए परमाणु समझौते का उदाहरण दिया है। विजय गोखले के मुताबिक चीन ने वामदलों के बड़े नेताओं को अपने यहां बुलाकर उन्हें ये डील न होने देने के लिए कहा। चीन को डर था कि इस डील से भारत और अमेरिका करीब आ जाएंगे। पूर्व विदेश सचिव के मुताबिक इसी मुद्दे पर पहली बार चीन ने भारत के अंदरूनी मामले में सीधा दखल देने की कोशिश की और अब भी वह ऐसा कर रहा है।

उन्होंने अपनी किताब में बताया है कि भारत के वामदलों के नेता बीमारी का इलाज कराने या मीटिंग करने के लिए चीन जाते थे और वहां की सरकार से बातचीत करते थे। जिसके बाद देश लौटकर वे सरकार की नीतियों पर अपनी राय जाहिर करते थे। बता दें कि चीन से सीमा विवाद और द्विपक्षीय संबंधों के मामले में वामदलों का चीन की तरफ झुकाव पहले भी देखा गया है।

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