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अब शी जिनपिंग सरकार के खिलाफ इंटरनेशनल कोर्ट पहुंचे उइगर मुसलमान, बढ़ी मुश्किलें

नई दिल्ली। भारत के साथ विवाद के अलावा चीन अब अपने ही देश में रह रहे उइगर मुसलमानों की वजह से घिरता जा रहा है, ऐसे में उसकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। इसके पहले भी देखा गया है कि, चीन उइगर मुसलमानों की वजह से चर्चा में रहा है। वहां उइगर मुस्लिमों की प्रताड़ना का विषय हमेशा से चीन को कटघरे में खड़ा करता रहा है लेकिन इस बार चीन में मुस्लिमों खासकर उइगर समुदाय के खिलाफ जारी मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला अब इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) पहुंच गया है।

चीन के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में पहुंचा मामला

बता दें कि उइगर समुदाय से जुड़ी संस्था ईस्ट टर्किश गवर्नमेंट और ईस्ट तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट ने चीन के खिलाफ कोर्ट में उइगर समुदाय के नरसंहार, मानवाधिकार उल्लंघन और शोषण का मामला दर्ज कराया है। उइगर समुदाय की निर्वासित सरकार ने कोर्ट से कहा है कि वह बीजिंग को उइगर नरसंहार और क्राइम अगेंस्ट ह्यूमैनिटी के मामलों में सवाल करे। ये पहला मामला है जब चीन से अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत उइगर समुदाय पर जारी अत्याचार से संबंधित पूछताछ की जा सकती है।

चीन में उइगर समुदाय पर अत्याचार

लंदन के वकीलों के एक समूह ने चीन में उइगर समुदाय पर जारी अत्याचार और हजारों उइगरों को कानून का उल्लंघन कर कंबोडिया और तजिकिस्तान डिपोर्ट किये जाने के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने भी मामले में रूचि जाहिर की है और चीन पहली बार जांच के घेरे में आ सकता है। इस केस में जिनपिंग समेत कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार से जुड़े 80 लोगों पर उइगर समुदाय के नरसंहार का आरोप लगाया गया है।

शायद ही जांच के लिए तैयार हो चीन

वैसे इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में भले ही इसके लेकर मामला दर्ज कराया गया हो लेकिन संदेह ही है कि चालबाज चीन इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र को मानेगा और शायद ही जांच के लिए तैयार होगा। अपील दायर करने वाले वकीलों में से एक रॉनडी डिक्सन ने कहा कि नरसंहार के मामलों में कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में चीन भी आता है। चीन और कंबोडिया दोनों देश कोर्ट के सदस्य हैं और इस नज़र से ये एक निजी नहीं अंतरराष्ट्रीय मामला भी है। उन्होंने कहा कि ये बेहद अहम केस साबित हो सकता है क्योंकि चीन को मानवाधिकारों के हनन और उइगर नरसंहार के लिए अभी तक किसी भी जवाबदेही का सामना नहीं करना पड़ा है।

बता दें कि इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट में नरसंहार, युद्ध अपराध और अन्य मानवाधिकार हनन के अंतरराष्ट्रीय मामलों की सुनवाई होती है। कोर्ट के कानून के मुताबिक भी हर सदस्य देश उसका अधिकार क्षेत्र है जबकि मामला नरसंहार से जुड़ा हो तो इसमें कोई शक नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के चलते ही म्यांमार को रोहिंग्या नरसंहार के लिए जवाब देना पड़ रहा है। कोर्ट ने तय किया है कि रोहिंग्या मुसलमानों के जबरदस्ती पलायन, नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में म्यांमार पर केस चलाया जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि रोहिंग्या को बांग्लादेश ने शरण दी है और वह कोर्ट का एक सदस्य है।

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