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Pakistan: क्या पाकिस्तान की बदहाली देख पिघल गया PM मोदी का दिल, करेंगे पड़ोसी मुल्क की मदद? जानें पूरी सच्चाई

नई दिल्ली। इन दिनों पाकिस्तान की आर्थिक दुर्गति अपने चरम पर पहुंच चुकी है। आलम यह है कि आम जनता बढ़ती महंगाई से त्रस्त हो चुकी है। आटा, चावल और दाल जैसी आम जरूरत की वस्तुओं के दाम आसामान छू रहे हैं। जिसकी वजह से बीते दिनों वहां की आवाम का आक्रोश भी हुकूमत के खिलाफ देखने को मिला था। लेकिन, शहबाज की मौजूदा हालत देखकर लगता है कि वो अब लाचार हो चुके हैं। वो अपने मुल्क की बेबसी के आगे घुटने टेक चुके हैं। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री कई मुल्कों के रहनुमाओं के आगे मदद के लिए हाथ फैला चुके हैं, लेकिन पाक की आतंकी परस्त सोच की वजह से कोई मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है। वहीं, इस बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मुश्किल समय में पाकिस्तान की मदद कर सकते हैं। बता दें कि बीते दिनों आरएसएस ने भी पाकिस्तान की मदद की बात कही थी और यहां तक कहा था कि 1947 से पहले हम और पाकिस्तान एक ही थे। आइए, अब जानते हैं कि पीएम मोदी द्वारा पाकिस्तान की मदद करने की सुगबुगाहट के पीछे क्या सच्चाई है?

दरअसल, भारतीय गुप्तचर एजेंसी रिसर्च एंड एनलिसिस के पूर्व प्रमुख अमरजीत सिंह दुलत को लगता है कि इस मुश्किल में पीएम मोदी पाकिस्तान की मदद के लिए आगे आ सकते हैं। उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान दावा किया है कि इस वर्ष के अंत या मध्य में भारतीय प्रधानमंत्री आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही दुलत ने आगे कहा कि यह बिल्कुल उचित समय है कि भारत पाकिस्तान की मदद करें। यह हमारे लिए उचित समय है कि हम अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंध को बेहतर करें। ध्यान रहे कि पूर्व में भी भारत नेपाल और श्रीलंका की मदद के लिए आगे आ चुका है। लेकिन, पाकिस्तान की मदद करने गुरेज सिर्फ आतंकवाद की वजह से किया जा रहा है। दुलत ने आगे दावा किया है कि वैश्विक परिदृश्य में अभी ईरान-रूस और चीन का गठजोड़ तैयार किया जा रहा है। अब यह गठजोड़ आगामी दिनों में क्या कदम उठाता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि बीते दिनों पाकिस्तान ने अपनी आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भी दरवाजा खटखटाया था। कई विश्लेषकों का मानना है कि अगर भारत-पाकिस्तान चाहे, तो अपने संबंधों में मौजूद खटास को दूरकर रिश्तों में नरमी ला सकते हैं।

बहरहाल, अब आगामी दिनों में दोनों ही मुल्कों की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। इसके अलावा उन्होंने वर्मतान में भारत द्वारा चीन के साथ अपने रिश्ते में मिठास लाने की बात पर भी बल दिया है, लेकिन चीन के मौजूदा रुख को देखकर यह कहना मुश्किल है कि वो भारत के साथ अपने रिश्ते को प्रगाढ़ करने की  मनोस्थिति में है। बहरहाल, अब पाकिस्तान की आर्थिक दुर्गति को ध्यान में रखते हुए भारत की ओर से क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सलभी की  निगाहें टिकी रहेंगी।

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