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HFC Letter To Justin Trudeau: ‘कनाडा में खतरनाक स्थिति, हिंदू सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे’, एचएफसी ने खालिस्तान परस्त पीएम जस्टिन ट्रूडो को चिट्ठी लिख जताई चिंता

justin trudeau

ओटावा। कनाडा के खालिस्तान परस्त पीएम जस्टिन ट्रूडो भारत पर आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या कराने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अपने ही देश में हिंदुओं की हालत पर वो खुद घिर गए हैं। हिंदू फोरम कनाडा यानी एचएफसी ने जस्टिन ट्रूडो को चिट्ठी लिखकर कहा है कि कनाडा में खतरनाक स्थिति है। एचएफसी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि कनाडा में हिंदू खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो को लिखी चिट्ठी में एचएफसी ने कहा है कि वो आतंकवाद का महिमामंडन बंद करें।

एचएफसी ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि कनाडा में हिंदू समुदाय ने सकारात्मक योगदान दिया है। ट्रूडो को हिंदू संगठन ने लिखा है कि सिख्स फॉर जस्टिस यानी एसएफजे जैसे संगठनों और खालिस्तानी गुरपतवंत सिंह पन्नू के बयानों से वो बेहद परेशान है। संगठन ने लिखा है कि इसके बाद भी कनाडा के अफसरों ने हिंदू समुदाय की चिंताओं पर ध्यान नहीं दिया है। गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कनाडा के सर्रे में 2023 को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की मौत के बाद भारत विरोधी बयानबाजी तेज की है। पन्नू ने कनाडा में रहने वाले हिंदुओं को देश छोड़ने की भी धमकी दी थी। एचएफसी ने जस्टिन ट्रूडो को चिट्ठी में लखा है कि सिख सांसद सुख धालीवाल के एम-112 प्रस्ताव की गलत व्याख्या किए जाने से भी हिंदू निराश हैं। एचएफसी ने कहा है कि सुख धालीवाल की हरकतें राजनीतिक रणनीति से प्रेरित लगती हैं।

कनाडा और भारत के बीच खालिस्तानी आतंकियों के मसले पर काफी दिनों से तनातनी चल रही है। कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने बीते दिनों एक बार फिर खालिस्तानी आतंकी निज्जर की हत्या का मुद्दा उठाया था। ट्रूडो ने कहा था कि उनका देश निज्जर की हत्या की जांच भारत के साथ मिलकर करना चाहता है। एचएफसी ने ट्रूडो को भेजी चिट्ठी में ये सलाह भी दी है कि कनाडा की सरकार गैर जिम्मेदाराना बयान देकर भारत के लोकतंत्र में हस्तक्षेप करने से बचे। एचएफसी ने इससे पहले भी ट्रूडो को चिट्ठी लिखी थी और कनाडा में हिंदू समुदाय की चिंताओं से अवगत कराया था। कनाडा में खालिस्तानी तत्व कई मंदिरों को निशाना बना चुके हैं। इन मंदिरों की दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखे गए और तोड़फोड़ की गई। बावजूद इसके ट्रूडो सरकार ने किसी मामले में सख्त कार्रवाई नहीं की है।

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