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History Taking Turn: जिन अंग्रेजों ने किया 200 साल राज, उनपर हमारी आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर शासन करेगा ये भारतीय!

साल 1757 से 1857 तक ईस्ट इंडिया कंपनी। उसके बाद 1858 से 15 अगस्त 1947 तक ब्रिटेन की सरकार। भारत पर अंग्रेजों का करीब 200 साल तक राज रहा। इस दौरान अंग्रेजों ने अत्याचारों की रोज नई दास्तान लिखी। अनगिनत लोगों को गोलियां चलाकर और फांसी देकर डर का माहौल बनाया।

rishi sunak

लंदन। साल 1757 से 1857 तक ईस्ट इंडिया कंपनी। उसके बाद 1858 से 15 अगस्त 1947 तक ब्रिटेन की सरकार। भारत पर अंग्रेजों का करीब 200 साल तक राज रहा। इस दौरान अंग्रेजों ने अत्याचारों की रोज नई दास्तान लिखी। अनगिनत लोगों को गोलियां चलाकर और फांसी देकर डर का माहौल बनाया। हिंदू और मुसलमानों में खाई पैदा की। जाते-जाते देश का बंटवारा कर गए। अब इतिहास पलटता हुआ दिख रहा है। जिन अंग्रेजों ने हमपर राज किया, अब उन्हीं पर एक भारतवंशी के राज करने के दिन आ सकते हैं। इस भारतवंशी का नाम ऋषि सुनक है। वो खुद बैंकर और इकोनॉमिस्ट रहे हैं। दुनिया में मशहूर भारत की टेक कंपनी ‘इन्फोसिस’ को शुरू करने वाले एनआर नारायणमूर्ति के ऋषि सुनक दामाद हैं। खास बात ये है कि इस साल भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए 75 साल भी हो रहे हैं। ऐसे में अगर ऋषि ब्रिटेन के पीएम बनते हैं, तो ये भारतीयों के लिए दोहरी खुशी का मौका लेकर आएगा।

ब्रिटेन की सियासत में उथल-पुथल मची है। पीएम पद से बोरिस जॉनसन का इस्तीफा हो चुका है। अब पीएम पद की दौड़ में ऋषि सुनक पहले दौर के बाद सबसे आगे हैं। उनको बुधवार को हुई पहले दौर की वोटिंग में 88 सांसदों का समर्थन मिला है। वोटिंग का अगला दौर भारतीय समय के मुताबिक आज देर रात पूरा होगा। अगर ऋषि को फिर ज्यादा वोट मिले, तो वो ब्रिटिश सरकार की कमान संभालेंगे। ऋषि सुनक इससे पहले बोरिस जॉनसन की सरकार में चांसलर ऑफ द एक्सचेकर यानी वित्त मंत्रालय संभाल रहे थे।

ऋषि सुनक के मुकाबले में भी कई ब्रिटिश सांसद खड़े हैं। इनमें विदेश मंत्री लिज ट्रस भी हैं। फिर भी पहले दौर की वोटिंग में ऋषि ने जिस तरह 88 वोट हासिल कर लिज समेत अपने सभी प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ा, उससे उम्मीद जगी है। अगर ऋषि सुनक ब्रिटेन की कमान संभालते हैं, तो ये पहली बार होगा कि जिस देश ने किसी को गुलाम बनाकर रखा हो, उसी मूल का कोई व्यक्ति आक्रांता मुल्क की सत्ता संभाल ले। उम्मीद पर दुनिया टिकी है, तो क्यों न हम और आप भी ये उम्मीद करें कि अंग्रेजों पर भारतीय ऋषि का राज हो।

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