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Pakistan: POK में चुनाव कराने का ढोंग कर रही इमरान सरकार, सेना की निगरानी में वोटिंग कराता है पाकिस्तान

imran khan

मुजफ्फराबाद। साल 1948 में जम्मू-कश्मीर पर हमला कर पाकिस्तान ने एक बड़े इलाके पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया। इसके बाद साजिश के तहत उसने वहां प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति भी बना दिए। इसके बाद इसी साजिश की कड़ी में पाकिस्तान की सरकारें वहां ढोंग करते हुए चुनाव भी कराती हैं, लेकिन सभी जानते हैं कि सेना की निगरानी में होने वाले चुनाव कितने निष्पक्ष होते हैं। पीओके में अब कल 33 और कश्मीरी प्रवासियों के 12 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है। इस बार चार सीटें बढ़ाई गई हैं। इससे पहले 41 विधानसभा सीटों पर वोट पड़ते थे। यहां 28 लाख के करीब वोटर हैं। हर बार की तरह इस बार भी चुनाव के लिए पुलिस के अलावा सेना और अर्धसैनिक बल पाकिस्तान रेंजर के हजारों जवानों को तैनात किया गया है।

पाकिस्तानी फौज और अर्धसैनिक बलों के जवान यहां निष्पक्ष चुनाव होने ही नहीं देते। हर बार यहां चुनाव के वक्त पाकिस्तान में बैठी सरकार के इशारे पर वोटिंग कराई जाती है। लाखों लोगों को वोट नहीं देने दिया जाता। इस बार इमरान सरकार ने कोरोना का नाम लेकर चुनाव टालने की कोशिश की थी। नेशनल कमांड एंड ऑपरेशन सेंटर ने पीओके में दो महीने के लिए चुनाव स्थगित करने का आग्रह किया था, लेकिन विपक्ष ने इसे मानने से इनकार कर दिया।


पीओके में पिछली बार साल 2016 में आम चुनाव हुआ था। तब पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने यहां जीत दर्ज की थी। खास बात ये भी है कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में भी पीओके की सीटें हैं। इन सीटों वाले इलाकों के पाकिस्तान के कब्जे में रहने की वजह से कभी चुनाव नहीं कराए जा सके। इस तरह जम्मू-कश्मीर में पीओके के इलाके वाली सीटें हमेशा खाली ही रही हैं।

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