नई दिल्ली। पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में एक चर्च पर जोरदार हमला हुआ है, जो पड़ोसी मुल्क में धार्मिक अल्पसंख्यकों के सामने आ रही मुश्किलों की बानगी है। फ़ैसलाबाद जिले के जारनवाला तहसील में, इस्लामी चरमपंथियों ने एक चर्च को निशाना बनाया, इसको पहले पूरी तरह से ध्वस्त किया और इमारत में आग लगा दी गई। चरमपंथियों ने चर्च से जुड़े व्यक्तियों पर ईशनिंदा में शामिल होने का आरोप लगाया है, लेकिन ईसाई समुदाय के द्वारा यह आरोप निराधार बताया गया है।
यह घटना पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के बड़े मुद्दे पर प्रश्न खड़े करती है। अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ मानवाधिकारों के हनन, उत्पीड़न और जबरन धर्म परिवर्तन के आरोप गंभीर चिंता का विषय रहे हैं। इन अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के पाकिस्तानी सरकार के प्रयास अक्सर विफल रहे हैं। जिससे इस तरह के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। यह हमला पाकिस्तानी सरकार द्वारा धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा देने के लिए अधिक सक्रिय और प्रभावी कदम उठाने की तत्काल आवश्यकता को दिखाता है। यह घटना देश में धर्म और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की स्थिति के साथ-साथ उन लोगों के सामने आने वाली चुनौतियों पर भी सवाल उठाती है जो धार्मिक अतिवाद के खिलाफ अपनी असहमति व्यक्त करने का साहस करते हैं।
NEW: Pakistani Islamist locals attack a Church in Faislabad of Punjab after falsely accusing a Christian minority family of blasphemy. Pakistan has been accused of atrocities against minority Hindus, Sikhs, Hindus & Ahmediyas over last many years. https://t.co/6QHOxvRsGm
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) August 16, 2023
जानकारी के लिए एक आपको बता दें कि कि इस घटना के बाद बिशप मार्शल ने उपद्रवियों के विरुद्ध कार्रवाई और की सुरक्षा की मांग की है। गौर करने वाली बात तो ये भी है कि बीते 70 सालों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों पर हमले के मामले सामने आए हैं। पिछले महीने ह्यूमन राइट्स फोकस पाकिस्तान के अध्यक्ष नवीद वाल्टर ने कहा था कि आजादी के बाद से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसदी से घटकर 3 प्रतिशत हो गई है। जो वाकई चिंताजनक बात है।