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Islamic Scholar On Death Fatwa: इस्लामी कानून में ईशनिंदा के किस मामले के लिए है मौत की सजा?, पाकिस्तान के इस्लामिक स्कॉलर ने बताया

Islamic Scholar On Death Fatwa: पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक इसके चेयरमैन डॉक्टर रागिब हुसैन नईमी ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि इस्लाम की पवित्र किताब कुरान या पैगंबर के परिवार के सदस्यों और उनके साथियों के अपमान पर शरिया में कहीं भी मौत की सजा का जिक्र नहीं किया गया है।

इस्लामाबाद। आमतौर पर कुरान और पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बोलने पर ईशनिंदा का मामला बनता है और पाकिस्तान से लेकर भारत तक ऐसे मामलों में ‘सिर तन से जुदा’ यानी मौत की सजा के फतवे दिए जाते हैं और भीड़ इकट्ठा होकर ये नारा लगाते हुए कभी-कभी हिंसक भी हो जाती है। पाकिस्तान में तो ईशनिंदा के मामलों में कई बार भीड़ ने लोगों की हत्या तक की है। अब सिर तन से जुदा का नारा बुलंद करने वालों के बारे में पाकिस्तान के एक इस्लामिक स्कॉलर ने आवाज उठाई है। उन्होंने क्या कहा है, ये हम आपको बताने जा रहे हैं।

पाकिस्तान में काउंसिल ऑफ इस्लामिक आइडियोलॉजी यानी सीआईआई नाम की संस्था है। पाकिस्तान के डॉन अखबार के मुताबिक इसके चेयरमैन डॉक्टर रागिब हुसैन नईमी ने गुरुवार को मीडिया से कहा कि इस्लाम की पवित्र किताब कुरान या पैगंबर के परिवार के सदस्यों और उनके साथियों के अपमान पर शरिया में कहीं भी मौत की सजा का जिक्र नहीं किया गया है। डॉक्टर रागिब हुसैन नईमी ने कहा कि इसके बावजूद धार्मिक तत्व ईशनिंदा के मामले में भीड़ का सहारा लेकर आरोपी को मार डालते हैं। ये गैर इस्लामिक के साथ देश के कानून के भी खिलाफ है। डॉक्टर रागिब हुसैन नईमी ने कहा कि धार्मिक समूह लोगों को इस्लामी कानून तोड़-मरोड़कर बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि ईशनिंदा के मामले में 4 अलग-अलग सजा इस्लामी कानून यानी शरिया में कही गई हैं।

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून को खत्म करने की कई बार मांग उठ चुकी है।

डॉक्टर रागिब हुसैन नईमी ने बताया कि इस्लामी कानून के तहत कुरान के अपमान पर उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। पैगंबर के परिवार के सदस्यों और साथियों के लिए अपशब्द कहने पर 7 साल की सजा बताई गई है। कादियानियत निषेध कानून के उल्लंघन पर 3 साल की सजा हो सकती है। उन्होंने कहा कि सिर्फ पैगंबर के बारे में अपशब्द कहने पर मौत की सजा की बात कही गई है। डॉक्टर रागिब हुसैन नईमी ने कहा कि इसके बाद भी धार्मिक समूह मानते हैं कि चारों अपराध के लिए मौत की ही सजा मुकर्रर है। उन्होंने ये भी कहा कि किसी को भी ईशनिंदा के मामले में महज शक के आधार पर मौत का फतवा जारी करने का हक नहीं है। रागिब हुसैन नईमी ने बताया कि पाकिस्तान के चीफ जस्टिस के खिलाफ मौत का फतवा जारी करने को उन्होंने हराम बताया था। उस वक्त उनको 500 से ज्यादा बार धमकी दी गई और अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी किया गया।

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