वैंकूवर। कनाडा में खालिस्तानी पहले मंदिरों को ही निशाना बनाते और उनकी दीवारों पर भारत विरोधी नारे लिखते थे। अब खालिस्तानी तत्वों ने कनाडा में गुरुद्वारों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। खालिस्तानी तत्वों ने कनाडा के वैंकूवर स्थित ऐतिहासिक खालसा दीवान सोसायटी यानी केडीएस गुरुद्वारा की दीवारों पर खालिस्तान समर्थक और भारत विरोधी नारे लिख दिए। इस ऐतिहासिक गुरुद्वारा को रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारा भी कहा जाता है। खालिस्तानियों की इस हरकत पर केडीएस गुरुद्वारा ने बयान में कहा है कि सिख अलगाववादियों के एक छोटे समूह ने खालिस्तान जिंदाबाद जैसे विभाजनकारी नारे लिखकर गुरुद्वारा की पवित्र दीवारों को खराब किया। बता दें कि 2023 और 2024 में कनाडा में करीब 20 मंदिरों को इसी तरह से नारे लिखकर अपवित्र किया गया था।
केडीएस गुरुद्वारा की तरफ से जारी बयान में ये भी कहा गया है कि ये घटना सिख समुदाय के इतिहास में दर्दनाक क्षण है। क्योंकि हम खालसा साजणा दिवस मनाने इकट्ठा हुए। जो सिखों की ताकत, एकता और लचीलेपन को दर्शाता है। अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक केडीएस गुरुद्वारा प्रबंधन से जुड़े सचिव जोगिंदर सुन्नर ने बताया कि गुरुद्वारा को अपवित्र करने का ये काम शनिवार देर रात हुई। खालिस्तानी एक ट्रक में आए थे। वैंकूवर पुलिस उनकी तलाश कर रही है। गुरुद्वारा प्रबंधन ने कहा है कि ये काम उन चरमपंथी ताकतों के अभियान का हिस्सा है, जो कनाडा के सिख समुदाय में डर और विभाजन पैदा करना चाहते हैं। हम इन ताकतों को सफल नहीं होने देंगे। केडीएस गुरुद्वारा साल 1906 में स्थापित हुआ था। पिछले हफ्ते गुरुद्वारा ने नगर कीर्तन निकाला था। जिसमें खालिस्तान समर्थकों को हिस्सा लेने से रोका गया था। खालिस्तानियों ने ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सर्रे स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर की दीवार पर भी नारे लिखे।
दिसंबर 2024 में कनाडा के गुरुद्वारों और मंदिरों से जुड़े करीब 60 सिख और हिंदू समूहों के प्रतिनिधियों के एक समूह ने रॉस स्ट्रीट गुरुद्वारे में मुलाकात की थी और समुदायों के बीच विभाजन को रोकने के लिए एक एकता संगठन के गठन की घोषणा की थी। केडीएस गुरुद्वारा ने अब खालिस्तानियों की शर्मनाक हरकत पर कनाडा के सभी सिख नागरिकों और सद्भावना रखने वाले लोगों से चरमपंथ के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया है। गुरुद्वारा ने ये भी कहा है कि ऐसे किसी भी काम की निंदा करनी चाहिए और शांति, एकता और सम्मान के मूल्यों के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि करनी चाहिए।