नई दिल्ली। नेपाल में सत्ता परिवर्तन के साथ ही के.पी. शर्मा ओली ने आज चौथी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। ओली के साथ उनके मंत्रिमंडल में शामिल 21 मंत्रियों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली। ओली को नेपाल के नए प्रधानमंत्री चुने जाने पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको बधाई दी है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, हम दोनों देशों के बीच मित्रता के गहरे संबंधों को और मजबूत करने तथा हमारे लोगों की प्रगति और समृद्धि के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग को और बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने के लिए तत्पर हैं।
Congratulations @kpsharmaoli on your appointment as the Prime Minister of Nepal. Look forward to working closely to further strengthen the deep bonds of friendship between our two countries and to further expand our mutually beneficial cooperation for the progress and prosperity…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2024
नेपाल के नए प्रधानमंत्री ओली को अब 30 दिनों के अंदर विश्वास मत हासिल करना होगा। 275 सीट वाली प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत के लिए ओली को 138 वोटो की जरूरत होगी। ओली सबसे पहले 11 अक्टूबर 2015 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने थे। उनका पहला कार्यकाल 3 अगस्त 2016 रहा। इसके बाद 5 फरवरी 2018 से 13 मई 2021 तक ओली दोबारा प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 13 मई 2021 से 13 जुलाई 2021 तक वो तीसरी बार पद पर बने रहे, क्योंकि तत्कालीन राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने उन्हें नियुक्त किया था। इसके बाद उनकी नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था।
#WATCH | Nepal's KP Sharma Oli takes oath as PM along with 21 Ministers joining the cabinet from four parties in the freshly brewed alliance pic.twitter.com/yDBVfhIX2x
— DD India (@DDIndialive) July 15, 2024
केपी शर्मा ओली को चीन का पक्षधर माना जाता है। ओली के कार्यकाल में भारत के साथ नेपाल के संबंधों में खटास आई थी। ओली सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान नेपाल का नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इस नक्शे में नेपाल ने कई भारतीय क्षेत्रों को नेपाल का हिस्सा बताया था। इसको लेकर भारत ने विरोध जताया था। वहीं साल 2020 में ओली ने ये कहकर नया विवाद पैदा कर दिया था कि असली अयोध्या भारत में नहीं बल्कि नेपाल में है। अब चौथी बार देश की कमान संभालने के बाद चीन समर्थित ओली का रुख भारत के प्रति कैसा होगा यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगी।