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Justin Trudeau Could Loose Canada PM Post: खालिस्तानी आतंकियों को शह देने और भारत से रिश्ते बिगाड़ने वाले कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो की विदाई तय!, लिबरल पार्टी सांसद चला रहे विरोध में हस्ताक्षर अभियान

justin trudeau

ओटावा। खालिस्तानी आतंकियों को शह देने और भारत से कनाडा के रिश्ते खराब कराने वाले पीएम जस्टिन ट्रूडो की पद से विदाई तय होने जा रही है। ये जानकारी कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी सीबीसी ने दी है। सीबीसी ने जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के सूत्रों के हवाले से बताया है कि तमाम सांसद नहीं चाहते कि ट्रूडो अब कनाडा के पीएम के पद पर रहें। कनाडा की लिबरल पार्टी में जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ बगावत का माहौल इस वजह से भी तैयार हुआ है, क्योंकि बीते दिनों ही उनकी पार्टी को टोरंटो-सेंट पॉल और मॉन्ट्रियल में हुए उप चुनावों में हार का सामना करना पड़ा।

सीबीसी के मुताबिक जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के सांसदों ने बीते दिनों कई बैठक की हैं। इन बैठकों में ज्यादातर सांसदों की राय थी कि जस्टिन ट्रूडो को कनाडा के पीएम पद से हटना चाहिए। सीबीसी ने लिबरल पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया है कि जस्टिन ट्रूडो को पीएम पद से हटाने के लिए उनकी पार्टी के सांसदों से एक हस्ताक्षर अभियान पर भी दस्तखत कराए जा रहे हैं। अब तक ट्रूडो की पार्टी के 20 सांसदों के दस्तखत लिए जाने की बात भी लिबरल के सूत्रों ने बताई है। अगर सीबीसी की ये खबर सही है, तो जस्टिन ट्रूडो को जल्दी ही कनाडा के पीएम पद से हाथ धोना पड़ सकता है। जस्टिन ट्रूडो से लिबरल सांसद इसलिए भी नाराज हैं, क्योंकि कनाडा के पीएम ने प्रचार निदेशक पद के लिए जेरेमी ब्रॉडहर्स्ट की नियुक्ति समेत कई मामलों में उनके सवालों का जवाब तक नहीं दिया। इसके अलावा कनाडा की जनता में ट्रूडो के खिलाफ भी माहौल है। ऐसे में लिबरल पार्टी में आवाज उठ रही है कि जस्टिन ट्रूडो को पीएम पद छोड़ देना चाहिए।

जस्टिन ट्रूडो सरकार से बीते दिनों ही खालिस्तान परस्त जगमीत सिंह की पार्टी एनडीपी ने समर्थन वापस ले लिया था। इसकी वजह से जस्टिन ट्रूडो की सरकार अभी अल्पमत में ही है। कनाडा में 2025 में संसद के चुनाव होने हैं। जस्टिन ट्रूडो को भारत से रिश्ते खराब होने के मामले में विपक्ष ने भी घेरा हुआ है। जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की एजेंसियों का हाथ है। इसके कोई सबूत वो अब तक भारत को नहीं दे सके हैं। भारत और कनाडा के बीच रिश्ते इतने खराब हुए कि मोदी सरकार ने कनाडा के उच्चायुक्त से राजनयिकों को वापस भेजने का भी फैसला किया था।

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