ढाका। इस्कॉन ने अपने सचिव रहे चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी की रिहाई के लिए भारत से हस्तक्षेप करने की अपील की है। इस्कॉन और बांग्लादेश में सम्मिलित सनातनी जोत के चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया था। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार किए जाने के विरोध में ढाका और चटगांव में हिंदुओं ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन किया। चटगांव में हिंदुओं के प्रदर्शन पर कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं के हमला करने की भी खबर है। इस हमले में हिंदू समुदाय के 50 से ज्यादा लोग घायल हुए। चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार के दौर में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई थी।
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले और मंदिरों व घरों में तोड़फोड़ के खिलाफ समुदाय की ओर से किए गए बड़े प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था। चिन्मय की सक्रियता देखते हुए बांग्लादेश पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया था। ढाका पुलिस के मुताबिक उसने चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को शाह जलाल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया। इस्कॉन ने चिन्मय की गिरफ्तारी के बाद भारत से हस्तक्षेप की अपील के साथ ही ये भी कहा है कि संगठन पर बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं। इस्कॉन ने कहा है कि उसका आतंकवाद से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, बांग्लादेश में हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद ने भी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को गिरफ्तार करने की निंदा की है। संगठन ने कहा है कि इससे विदेश में बांग्लादेश की छवि खराब होगी।
बांग्लादेश में इस साल 5 अगस्त को तत्कालीन पीएम शेख हसीना की सत्ता पलट दी गई थी। इसके बाद ही वहां हिंदुओं पर अत्याचार और मंदिरों को तोड़ने की घटनाएं लगातार हो रही हैं। कई यूनिवर्सिटी और कॉलेज में हिंदू टीचरों से जबरन इस्तीफा भी लिखवाया गया है। बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर भारत ने चिंता भी जताई थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद बांग्लादेश की कार्यकारी सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से कहा था कि ऐसी घटनाओं पर सख्ती से रोक लगाई जाए। बावजूद इसके यूनुस सरकार लगातार कट्टरपंथियों का पक्ष लेती दिख रही है। नतीजे में हिंदू कई बार बड़ा विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं।