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Nobel Peace Prize : नोबेल शांति पुरस्कार हुआ घोषित, बेलारूस के मानवाधिकार कार्यकर्ता, रूसी और यूक्रेनी संगठन किए सम्‍मानित

Nobel Peace Prize 2022 : घोषणा किए जाने के बाद 'द नोबेल प्राइज' की ओर से कहा गया, 'नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अपने देश में नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कई वर्षों तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए सत्ता की आलोचना की है।

नई दिल्ली। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों की श्रेणी में गिने जाने वाले नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान हो चुका है भारत भारत से भी इस नोबल पुरस्कार के लिए कुछ नाम शामिल किए गए थे जिसमें फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक जुबैर और प्रतीक सिन्हा का नाम शामिल था। लेकिन इस पुरस्कार की दौड़ में वो पीछे रह गए।

नॉर्वे की नोबेल कमेटी ने 2022 में शांति पुरस्कार के लिए बेलारूस के मानवाधिकार अधिवक्ता एलेस बालियात्स्की (Ales Bialiatski) का नाम चुना है। इसके साथ ही रूसी मानवाधिकार संगठन मेमोरियल और यूक्रेनी मानवाधिकार संगठन सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज को यह पुरस्कार मिला है। ऐसे में भारत जो नोबेल की उम्मीद लगाए बैठा था उस उम्मीद को झटका लगा है।

घोषणा किए जाने के बाद ‘द नोबेल प्राइज’ की ओर से कहा गया, ‘नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अपने देश में नागरिक समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कई वर्षों तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और बढ़ावा देने के लिए सत्ता की आलोचना की है। उन्होंने युद्ध अपराधों, मानवाधिकारों के हनन और सत्ता के दुरुपयोग का दस्तावेजीकरण करने के लिए एक उत्कृष्ट प्रयास किया है। इसके साथ ही वे शांति और लोकतंत्र के लिए नागरिक समाज के महत्व को प्रदर्शित करते हैं।’ हम उनके इन प्रयासों की भरपूर प्रशंसा करते हैं।

वर्ष 1895 से दिया जा रहा है नोबेल पुरस्कार

गौरतलब है कि भारत के प्रतीक सिन्हा और मोहम्मद जुबैर के अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन, म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार, बेलारूस की विपक्षी नेता सवितलाना भी इस पुरस्कार की दौड़ में शामिल थे। लेकिन दोनों में से किसी को यह पुरस्कार नहीं मिला।

बता दें शांति पुरस्कार की स्थापना 1895 में स्वीडन के केमिस्ट अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर पर हुई थी। अल्फ्रेड नोबेल ने डयनामाइट की खोज की थी। नोबेल शांति पुरस्कार दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान माना जाता है। मानवता के लिए काम करने वालों को यह पुरस्कार दिया जाता है। भारत आने वाले समय में विज्ञान के क्षेत्र में एक नोबेल की आस लगाए हुए है। इससे पहले भारत के अर्थशास्त्री अमर्त्यसेन को संयुक्त रूप से अन्य अर्थशास्त्री के साथ यह नोबेल पुरस्कार मिला था।

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