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कंगाल पाकिस्तान अब तुर्की और सऊदी अरब को ऐसे खुश करने में जुटा

Imran Khan

इस्लामाबाद/नई दिल्ली। पाकिस्तान (Pakistan) से सऊदी अरब (Saudi Arabia) की नाराजगी के बीच जहां पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) आर्थिक बदहाली झेल रहे देश को समस्याओं से निजात दिलाने की उम्मीद में तुर्की (Turkey)के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के साथ करीबी बढ़ाने में लगे हुए हैं वहीं, देश के सैन्य प्रमुख कमर जावेद बाजवा सऊदी का गुस्सा शांत करने के लिए सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को मनाने में लगे हुए हैं। सऊदी ने पाकिस्तान को दिए जाने वाले ऋण पर रोक लगा दी है।

इस्लामाबाद के सूत्रों ने आईएएनएस को बताया कि पाकिस्तान द्वारा हाल ही में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) को विभाजित करने और इरडोगन के प्रति अपनी कूटनीतिक पारी को विभाजित करने की धमकी देने और तुर्की के प्रति कूटनीतिक झुकाव के बाद अब चीजों को ठीक करने के लिए जनरल बाजवा रियाद का दौरा कर रहे हैं।

एक गंभीर आर्थिक संकट से घिरे पाकिस्तान ने 2018 में सऊदी अरब से 6.2 अरब डॉलर उधार लिए थे। ऋण पैकेज में एक प्रावधान शामिल था जिसके तहत सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 3.2 अरब डॉलर का तेल, एक साल के लिए आस्थगित भुगतान के साथ दिया था। हालांकि, इमरान खान सरकार द्वारा कश्मीर पर ओआईसी को विभाजित करने की धमकी के बाद सऊदी अरब ने पाकिस्तान के लिए उधार तेल देने के प्रावधान को रोक दिया है।

पाकिस्तान सेना ने पिछले सात दशकों में चार बार जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण करने का प्रयास किया है और पिछले तीन दशकों से भारत के खिलाफ छद्म युद्ध कर रहा है। पिछले साल अगस्त से, जब भारत ने जम्मू-कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे को रद्द कर दिया था और इसे सीधे केंद्र सरकार के नियंत्रण में लाया था, इमरान खान सरकार दुनिया के इस्लामी देशों के सबसे बड़े ब्लॉक 57-सदस्यीय ओआईसी से समर्थन मांग रही है।

हाल ही में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर एक टॉक शो के दौरान धमकी दी थी कि अगर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले ओआईसी ने कश्मीर पर विदेश मंत्रियों की बैठक नहीं बुलाई, तो प्रधानमंत्री इमरान खान इस्लामिक राष्ट्रों के बीच अपने सहयोगियों के साथ इसे खुद आोयजित करेंगे।

ओआईसी द्वारा पाकिस्तान के समर्थन की कमी के प्रमुख कारणों में से इस्लामाबाद की तुर्की के एर्दोगन के साथ नजदीकी से रियाद की नाराजगी है। जो (एर्दोगन) सऊदी साम्राज्य के नेतृत्व को खुलेआम चुनौती देते रहे हैं। पिछले साल, मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद ने तुर्की के राष्ट्रपति और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के साथ ‘मुस्लिम उम्माह’ के भविष्य पर एक शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। हालांकि, खान ने अंतिम समय में अपनी यात्रा रद्द कर दी, लेकिन रियाद को यह संदेश गया कि तुर्की-पाकिस्तान-मलेशिया उसके नेतृत्व को चुनौती देते हुए एक नया मुस्लिम ब्लॉक बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

सूत्रों ने कहा कि बाजवा “यह दिखावा करने के लिए रियाद गए हैं कि पाकिस्तान तटस्थ है और वह मोहम्मद बिन सलमान से अरबों डॉलर निचोड़ने की कोशिश में लगे हुए हैं ताकि इस्लामाबाद में पाकिस्तान सेना की शक्ति और रसूक बरकरार रहे। लेकिन यह स्पष्ट है कि तुर्की, पाकिस्तान, मलेशिया और ईरान एक नई इस्लामी धुरी है। जो मध्य पूर्व में अमेरिका-इजरायल-सऊदी अरब साझेदारी के खिलाफ चीन और रूस के साथ गठबंधन में सऊदी अरब के खिलाफ एक ब्लॉक के रूप में उभर रहे हैं।”

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