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Nepal Violence: नेपाल में पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह का पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू, राजशाही समर्थक आंदोलन के दौरान हिंसा में नुकसान के लिए 7.93 लाख का जुर्माना भी लगाया गया

Nepal Violence: नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह ने पहले बयान दिया था कि देश की रक्षा करने का समय आ गया है। ज्ञानेंद्र शाह ने बयान में कहा था कि देश में एकता की जिम्मेदारी हमें लेनी चाहिए। नेपाल के पूर्व नरेश के इस बयान के बाद ही राजशाही समर्थकों ने काठमांडू में उग्र विरोध प्रदर्शन किया था। हालात इतने विकट हो गए थे कि नेपाल की सरकार को काठमांडू के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाने के साथ ही सेना की भी तैनाती करनी पड़ी। फिलहाल कई जगह सेना अब भी तैनात है।

काठमांडू। नेपाल में राजशाही समर्थक आंदोलन तेज होने के आसार हैं। हालांकि, इस आंदोलन को कृचलने के लिए नेपाल की सरकार सभी कदम उठा रही है। मीडिया की खबरों के मुताबिक नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह का पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। काठमांडू के नागरिक निकाय ने राजशाही आंदोलन के दौरान हिंसा में जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई के लिए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह को 7 लाख 93 हजार रुपए देने का नोटिस भी भेजा है। वहीं, राजशाही समर्थकों ने सरकार को 1 हफ्ते का अल्टीमेटम दिया है। राजशाही समर्थक चाहते हैं कि नेपाल को फिर हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए और वहां फिर से नरेश की बहाली हो।

नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह ने पहले बयान दिया था कि देश की रक्षा करने का समय आ गया है। ज्ञानेंद्र शाह ने बयान में कहा था कि देश में एकता की जिम्मेदारी हमें लेनी चाहिए। नेपाल के पूर्व नरेश के इस बयान के बाद ही राजशाही समर्थकों ने काठमांडू में उग्र विरोध प्रदर्शन किया था। हालात इतने विकट हो गए थे कि नेपाल की सरकार को काठमांडू के कई इलाकों में कर्फ्यू लगाने के साथ ही सेना की भी तैनाती करनी पड़ी। ताजा जानकारी के मुताबिक काठमांडू में सेना अब भी तैनात है, लेकिन कर्फ्यू को हटा लिया गया है। राजशाही समर्थकों के हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए ज्ञानेंद्र शाह की तरफ ही अंगुली उठी थी। पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने भी मांग की थी कि नेपाल के पूर्व नरेश के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

नेपाल में साल 2008 में नरेश की सत्ता खत्म हुई थी। नेपाल के संविधान में बदलाव कर उसका हिंदू देश का दर्जा भी खत्म किया गया था। इसके बाद से नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता रही है। हालत ये है कि नेपाल में नरेश की सत्ता खत्म होने के बाद से 13 बार सरकार बदल चुकी है। राजशाही समर्थक आरोप लगाते हैं कि नेपाल में हालात बदतर हैं और भ्रष्टाचार का भी बोलबाला हो गया है। राजशाही समर्थकों ने काठमांडू में जो विरोध प्रदर्शन किया, उसमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए थे। इस वजह से नेपाल की सरकार ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ बहुत ज्यादा सख्त कदम उठाने से झिझकती दिख रही है।

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