वेटिकन सिटी। कैथोलिक ईसाइयों के सर्वोच्च धर्मगुरु पोप फ्रांसिस का सोमवार को वेटिकन सिटी में निधन हो गया। पोप फ्रांसिस का जन्म 1936 में हुआ था। पोप फ्रांसिस 88 साल के थे। वेटिकन न्यूज के मुताबिक पोप फ्रांसिस का निधन कासा सांता मारता में उनके आवास पर हुआ। फरवरी 2025 में सांस संबंधी दिक्कतों के कारण पोप फ्रांसिस को काफी दिन अस्पताल में भी बिताना पड़ा था। पोप फ्रांसिस बीते 1000 साल में पहले ऐसे पोप रहे, जो यूरोप से नहीं थे। पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के मूल निवासी थे। पोप फ्रांसिस के निधन से दुनियाभर में कैथोलिक ईसाई समुदाय में शोक की लहर है।
पोप फ्रांसिस पहले जेसुइट पादरी रहे। साल 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च ने उनको पोप चुना था। पोप फ्रांसिस से पहले पोप बेनेडिक्ट 16वें कैथोलिक ईसाइयों को सर्वोच्च धर्मगुरु थे। पोप फ्रांसिस के निधन के बाद अब कैथोलिक ईसाई समुदाय की नजर इस पर है कि नया पोप किसे चुना जाता है। तय नियमों के मुताबिक पोप फ्रांसिस के निधन की जानकारी सबसे पहले वेटिकन के सबसे वरिष्ठ अधिकारी कार्डिनल केविन फैरेल ने की। पोप फ्रांसिस का निधन होने के बाद अब अन्य विधि-विधान अपनाए जाएंगे। इसके तहत पोप फ्रांसिस के दाएं हाथ की अंगुली में पहनी पोप को दर्शाने वाली अंगूठी को नष्ट किया जाएगा। फिर उनके आवास को भी सील किया जाएगा। कैथोलिक परंपरा के अनुसार पोप के शरीर से दिल समेत कई अंग निकालकर संरक्षित भी किया जाता है।
BREAKING: Pope Francis has died at the age of 88, the Vatican has announced.https://t.co/d40fgMNYxi
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— Sky News (@SkyNews) April 21, 2025
अभी तक जितने भी पोप का निधन हुआ, उनका अंतिम संस्कार 4 से 6 दिन में किया गया। पोप के अंतिम संस्कार की सारी तैयारी कार्डिनल कॉलेज के डीन करते हैं। निधन के बाद सभी पोप को वेटिकन ग्रोटो में दफनाया जाता है। पोप के निधन के बाद 9 दिन शोक मनाने का नियम है। शोक का दौर खत्म होने के बाद वेटिकन से जुड़े दुनियाभर के कार्डिनल इकट्ठा होते हैं और नए पोप का चुनाव करते हैं। ये पूरी प्रक्रिया गुप्त रखी जाती है। इसके बाद एक चिमनी से धुआं छोड़ा जाता है। धुएं का रंग सफेद होने पर लोगों को पता चल जाता है कि नया पोप चुन लिया गया है। अगर काला धुआं चिमनी से निकलता है, तो पता चलता है कि अभी नए पोप का चुनाव नहीं किया गया है।