नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए रूस का दौरा किया। इस दौरान, भारतीय समुदाय के लोगों के अलावा, कई रूसी नागरिकों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसी स्वागत की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें दो रूसी महिलाएं पारंपरिक ड्रेस “सरफान” में नजर आ रही हैं।
सरफान है रूस की एक सांस्कृतिक प्रतीक
रुसी संस्कृति में पारंपरिक कपड़ों का विशेष महत्व होता है। खासकर त्योहारों, शादियों और सम्मानित मेहमानों के स्वागत के अवसर पर रूसी लोग पारंपरिक वस्त्र पहनते हैं। तस्वीर में दिखाई दे रहा “सरफान” एक विशेष पारंपरिक कपड़ा है, जो न केवल खूबसूरत है, बल्कि इसके पीछे एक समृद्ध इतिहास भी है।
रूस में आदरणीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वागत कृष्ण भजन के साथ हुआ 👏🙌
जयतु सनातन धर्म 🙏🚩
विश्व गुरु भारत 🙏🇮🇳 pic.twitter.com/4he3XxKN05— नित्या 🇮🇳 (@_NidhiSingh20_) October 22, 2024
सरफान का इतिहास
विभिन्न इतिहासकारों के अनुसार, सरफान 15वीं से 17वीं सदी के बीच रूस में लोकप्रिय हुआ। उस समय रूस में सामंती व्यवस्था थी, जिससे सरफान एक फैशनेबल वस्त्र के साथ-साथ सामाजिक स्थिति का प्रतीक बन गया। उच्च वर्ग की महिलाएं इसे विशेष रूप से पहनती थीं। समय के साथ, यह आम लोगों के बीच भी प्रचलित हो गया और वर्तमान में इसे विशेष रूप से साइबेरिया की महिलाएं पहनती हैं।
सरफान का उल्लेख रूसी लोककथाओं और गीतों में भी मिलता है, जिससे यह साफ होता है कि इसे केवल एक कपड़ा नहीं, बल्कि रूसी संस्कृति की आत्मा माना जाता है। यही कारण है कि आधुनिक कपड़ों के आगमन के बावजूद, रूसी लोग खास अवसरों पर अपने पारंपरिक वस्त्र पहनने का चयन करते हैं।