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कोरोना संकट के बीच रूस ने बनाया ऐसा विनाशकारी बम जो पलक झपकते ही 6000 मील दूर खत्म कर देगा सबकुछ

मॉस्को। इस दुनिया के आगे मौजूदा समय में महासंकट खड़ा हुआ है। पूरी मानव प्रजाति एक महामारी कोरोनावायरस के चलते खतरे में है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ देश अपने हथियार दिखाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। कुछ समय पहले पाकिस्तान ने अपनी नौसेना में एक मिसाइल का परीक्षण किया था अब रूस ने दुनिया का सबसे बड़ा बम बना लिया है जो न सिर्फ 6000 मील यानी करीब 10 हज़ार किलोमीटर तक मार कर सकता है। गौरतलब है कि अमेरिका ने चीन को महामारी पर सजा देने की पहले ही ठान ली है। अब अगर अमेरिका और चीन में जंग होगा तो जाहिर है इस महायुद्ध में रूस की एंट्री भी जरूर होगी इसीलिए रूस ने अभी से अपनी ताकत को बढ़ाना शुरू कर दिया है।

मिरर यूके की खबर के मुताबिक रूस के इस नए बम को ‘डूम्सडे बम’ यानी दुनिया का अंत कर देने वाला बम कहकर बुलाया जा रहा है। ये न्यूक्लियर पावर से लैस एक स्किफ मिसाइल के जरिए लॉन्च किया जा सकता है। इसे सिंथेटिक रेडियोएक्टिव एलिमेंट कोबाल्ट-60 से बनाया गया है और ये समुद्र या फिर ज़मीन जहां भी इस्तेमाल किया जाएगा वहां तबाही लाने में सक्षम है।

ये 6000 मील तक मार कर सकता है और 60 मील प्रति/घंटा की रफ़्तार से अपने निशाने की तरफ बढ़ता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर इसे अमेरिका के आस-पास कहीं समुद्र में भी गिराया जाता है तो ये न सिर्फ सभी जहाजों को तबाह करेगा बल्कि अमेरिकन कोस्ट से ब्रिटिश आइलैंड तक के समुद्र के पानी को जहरीला भी बना देगा।

क्या हैं रूस के इस बम की खासियतें

-ये महाबम 25 मीटर लंबा और 100 टन वजनी है।

-इस बम को समुद्र में उतारने के लिए एक विशेष जहाज की जरूरत पड़ती है।

-समुद्र की सतह से 3,000 फीट नीचे ये महाबम कई साल तक यूं ही पड़ा रह सकता है

-स्किफ मिसाइल पर लगा ये बम सिंथेटिक रेडियोधर्मी तत्व कोबाल्ट-60 के इस्तेमाल से समुद्र के बड़े हिस्से और उसके तटों में तबाही ला सकता है।

-इस बम के साथ स्किफ मिसाइल 6,000 किमी दूर तक मार कर सकता है।

-60 मील प्रति घंटे की रफ्तार से अपने ठिकाने पर निशाना लगा सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक अगर इस बम को समुद्र की गहराई में ले जाकर विस्फोट किया जाता है तो बेहद खतरनाक साबित होगा। 25 मीटर व्यास याला और 100 टन वजन वाला ये बम समुद्र की गहराई में 3000 फीट तक ले जाकर छुपाया जा सकता है और ये कई सालों तक ऐसा ही रहेगा, जब भी चाहो विस्फोट किया जा सकता है। गौरतलब है कि सोवियत संघ के समय से ही रुस हथियारों के मामले में आगे रहा है। सोवियत संघ के विघटन के बाद काफी हद तक हथियारों के मामलों में गिरावट आई है लेकिन इसके बावजूद भी लगातार नए नए परीक्षण जारी रहे हैं जो अबतक चल रहे हैं।

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