ढाका। बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने आरक्षण के खिलाफ छात्रों के आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद देशभर में कर्फ्यू तो लगाया ही है। साथ ही सुरक्षाबलों को आदेश दिया है कि हिंसा करने की कोशिश करने वालों को देखते ही गोली मारी जाए। बांग्लादेश में इसके साथ ही सोमवार तक सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया गया है। पूरे देश में मोबाइल इंटरनेट सेवा पूरी तरह बंद है। सोमवार को हालात देखकर बांग्लादेश सरकार तय करेगी कि आगे क्या कदम उठाना है।
बांग्लादेश की सेना को कानून और व्यवस्था ठीक रखने के लिए राजधानी ढाका समेत तमाम जगह तैनात किया गया है। आरक्षण के खिलाफ आंदोलन में अब तक 115 प्रदर्शनकारियों की मौत होने की खबर है। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि सरकारी नौकरियों में मुक्ति युद्ध के नायकों के परिजनों को दिया जाने वाला 30 फीसदी आरक्षण रद्द किया जाए। इस आरक्षण को हाईकोर्ट ने भी सही ठहराया है। ऐसे में सरकार छात्रों की मांग मानती नहीं दिख रही। पिछले कुछ दिनों में बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन तेज हो गया। जगह-जगह हिंसा हुई। ढाका में सरकारी टीवी के दफ्तर के अलावा देश के एक अन्य जगह में जेल को आंदोलनकारियों ने आग लगा दी। जेल से सैकड़ों कैदी भी छोड़ दिए। इसके बाद शेख हसीना की सरकार ने कर्फ्यू लगाने का एलान किया था।
इस बीच, बांग्लादेश में फंसे भारतीय छात्रों और नागरिकों को वापस लाने का काम तेजी से किया जा रहा है। ढाका स्थित भारतीय उच्चायोग लगातार हालात पर नजर रखे हुए है। 1000 के करीब भारतीय छात्र बांग्लादेश से लौट भी चुके हैं। बताया जा रहा है कि बांग्लादेश में इस वक्त मौजूद भारतीयों की संख्या 15000 के आसपास हो सकती है। इन सभी की सकुशल वापसी के लिए हर संभव कोशिश जारी है। बांग्लादेश सरकार भी भारतीयों और अन्य विदेशी नागरिकों की सुरक्षा के लिए संबंधित देशों से संपर्क बनाए हुए है।