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Terrorist Taliban: तालिबान का कब्जा होते ही काबुल में दिखा 37 करोड़ का इनामी आतंकी खलील हक्कानी, लोगों से करवाया ऐसा

Khalil Haqqani

काबुल। तालिबान और आतंकियों के गठजोड़ के पुख्ता सबूत एक-एक कर सामने आ रहे हैं। पहले जैश-ए-मोहम्मद के चीफ मौलाना मसूद अजहर ने तालिबान की तारीफ की। अब एक और बड़ा आतंकी काबुल की सड़कों पर खुलेआम घूमता और लोगों को तालिबान के प्रति निष्ठा की शपथ दिलाता दिखा है। इस आतंकी की नाम खलील हक्कानी है। उसे संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका ने मोस्ट वांटेड की लिस्ट में रखा है। अमेरिका ने खलील को जिंदा या मुर्दा पकड़वाने वाले को 50 लाख डॉलर यानी 37 करोड़ रुपए से ज्यादा की रकम देने का एलान भी कर रखा है। मीडिया को आज सुबह खलील हक्कानी काबुल में पुल-ए-खिश्ती मस्जिद के बाहर दिखा। फिर वह मस्जिद में गया और लोगों को तालिबान के प्रति निष्ठा रखने की शपथ दिलाई। इमाम की तकरीर के बाद खलील ने कहा कि अफगानिस्तान को सुरक्षित रखना ही तालिबान की प्राथमिकता है। हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान में महिलाओं से भेदभाव नहीं होगा और सभी को कारोबार की छूट और शिक्षा देंगे। उसने लोगों से हक्कानी नेटवर्क के समर्थन में नारे भी लगवाए।

हक्कानी नेटवर्क 1970 में बना था। इसका चीफ जलालुद्दीन हक्कानी है। ओसामा बिन लादेन से भी हक्कानी नेटवर्क का रिश्ता रहा है और यह बहुत खतरनाक आतंकवादी समूह माना जाता है। खलील हक्कानी इसी जलालुद्दीन का भाई है। उसका मुख्य काम हक्कानी नेटवर्क के लिए पैसा जुटाना है। वह तालिबान के डिप्टी चीफ सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा भी है।

पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान में हक्कानी नेटवर्क का गढ़ है। कई बार अमेरिका ने इस आतंकी संगठन को निशाना बनाया, लेकिन जलालुद्दीन, सिराजुद्दीन या खलील को मार पाने में वह नाकाम रहा। इस नेटवर्क का पाकिस्तान में भी बड़ा असर है और वहां इसे खुफिया एजेंसी आईएसआई का भी जबरदस्त समर्थन मिलता है।

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