News Room Post

उदार छवि बनाने की कोशिश में लगा है तालिबान, लेकिन मुंह पर लोकतांत्रिक और दिमाग में घुसी हुई है शरिया की सोच

Abdul Ghani Baradar

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में तालिबान 20 साल बाद फिर से वापस आ गया है। ऐसे में तालिबान इस बार पूरी दुनिया को दिखाने में लगा है कि उसने उदारवादी सोच के साथ वापसी की है। और महिलाओं को बराबर का हक मिलेगा। वहीं मीडिया के सामने या फिर दुनिया को उदार छवि दिखाने की कोशिश भले ही तालिबान कर रहा हो, लेकिन उसके मुंह पर लोकतांत्रिक होने का नारा और दिमाग में शरिया वाली सोच ही बनी हुई है। बता दें कि दुनिया के सामने अपनी छवि बदलने को बेकरार तालिबान ने अपनी दूसरी प्रेस कांफ्रेंस की है। जिसमें उसने मीडिया संस्थानों, अमेरिकी नागरिकों, काबुल के हालात, महिलाओं के मुद्दे पर अपनी बात रखी। इन सभी बातों में तालिबान ने खुद को उदारवादी दिखाने की कोशिश की है। हालांकि दुनिया के सामने तालिबान भले ही उदारवादी बनने का ढोंग कर रहा हो लेकिन आने वाले दिनों में लोगों को इसका असली चेहरा दिख ही जाएगा।

तालिबान के प्रेस कांफ्रेंस की प्रमुख बातें

तालिबान ने अपने दूसरे प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि, अफगानिस्तान में महिलाएं तबतक घरों में रहे, तबतक हालात सामान्य नहीं हो जाते। वैसे तालिबान के इस बयान में एक बात जो गौर करने वाली है वो ये कि, अफगानिस्तान में जबतक तालिबान है, तबतक शांति कायम होना मुश्किल है। ऐसे में अब महिलाओं को घरों के अंदर कैद कर दिया जाएगा। इससे पहले तालिबान ऐसा उदाहरण पेश कर चुका है।

तालिबान ने पंजशीर में नॉर्दन अलायंस (Northern Alliance) के नेताओं अपील की है कि वो काबुल लौटें। उन्होंने कहा कि इस हालात में वो देश ना छोड़े बल्कि बातचीत का रास्ता अपनाएं। हालांकि तालिबान की इन बातों को सुनकर भले ही लगे कि वो शांति चाहता है लेकिन सच ये है कि वो पंजशीर को कभी नहीं जीत पाया इसलिए खुद बातचीत का सहारा ले रहा है।

तालिबान ने कहा कि, मीडिया संस्थानों को काम करने की आजादी है। लोग फिर से काम करने लौटने लगे हैं। लेकिन असलियत की बात करें तो पत्रकारों में डर समाया हुआ है। महिला पत्रकारों को उनके ऑफिस जाने से रोका जा रहा है। तालिबान ने जानकारी दी कि, अफगानिस्तान में बुधवार से बैंक भी खुल जाएंगे, ये बात भी इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही गई।

 

Exit mobile version