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चीन में उइगर मुस्लिमों के यातना में कमी नहीं, लेकिन इमरान को फिक्र नहीं; उल्टा बांध रहे तारीफों के पुल

pakistan and china

नई दिल्ली। दोस्ती जरूरी है, लेकिन दोस्ती में भी कुछ उसूल होते हैं और अगर उन उसूलों को ही ताक पर रखकर कोई रिश्ता निभाया जाए, तो यकीन मानिए उसे दोस्ती नहीं, बल्कि चाटूकारिता कहते हैं। जी हां…वही चाटूकारिता जो आज कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की करते नजर आ रहे हैं। बेशक वे अपनी लाज बचाने की जद्दोजहद में खुद को चीन का दोस्त बताते हों, लेकिन पिछले कुछ दिनों से वे जिस तरह की हरकत करते दिख रहे हैं, उसे देख पाकिस्तान को चीन का दोस्त तो कतई नहीं कहा जा सकता है। खैर, अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये भूमिका किस संदर्भ में रची जा रही है, तो आपको बता दे कि ये भूमिका अभी हाल ही में इमरान खान द्वारा चीन के संदर्भ में किए गए तारीफों को लेकर रची जा रही है।

उन्होंने चीन की तारीफ की है। अब आप कहेंगे कि दोस्ती में तारीफ तो होती ही रहती है, तो हम कौन सा मना कर रहे हैं, बिल्कुल होती है, करिए आप तारीफ, किसने रोका है, लेकिन जब आप चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे सुलूकों को भूला कर तारीफ करेंगे, तो आपकी दोस्ती पर सवाल उठना तो लाजिमी रहेंगे। जब आप अपने ही लोगों के बहते खून की परवाह किए बगैर चीन की तारीफ करेंगे तो सवाल उठेंगे ही। जब आप चीन द्वारा उइगर मुस्लिमों के साथ किए जा रहे अमानवीय व्यवहार पर इसी तरह खामोश रहेंगे, तो सवाल तो उठेंगे ही। खैर, इमरान को बेआबरू होने का शौक था, ये तो हम सबको पता था, लेकिन अब वे अपना स्तर इतना गिरा चुके हैं, ये हमें पता नहीं था। आज जब उन्होंने तमाम सिद्धांतों को ताक पर रखते हुए चीन की तारीफ में चार चांद लगा दिए, तो लोगों को ये हजम नहीं हुआ। लोगों ने इसे दोस्ती नहीं, बल्कि इमरान की चाटूकारिता बताई, जो पिछले काफी लंबे समय से वे चीन की करते नजर आ रहे हैं।

वहीं,  इमरान खुद को इस्लाम का ध्वजवाहक बनाने की कोशिश कर रहे हों, लेकिन वे इसमें पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। अभी हाल ही में उन्होंने पाकिस्तान में एक प्राधिकरण का गठन किया है, जिसका नाम रहमतुल-इल-अलामीन अथॉरिटी है। इसका मुख्य ध्येय इस्लाम की शिक्षा में नया क्रांति लाना है। इस संस्था का उद्देश्य मुस्लिम युवाओं को इस्लाम के करीब लाना है। इस दिशा में अपनी कोशिशों को परवान चढ़ाते हुए इमरान खान ने कई मौलनाओं की भर्ती शुरू कर दी है। बहुत जल्द ही यह संस्था पूरी तरह से सक्रिय होकर मुस्लिम युवाओं को इस्लाम की शिक्षा प्रदान करेगी, लेकिन उनके इस रवैये को दोहरे मापदंड से मापा जा रहा है।

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