नई दिल्ली। नाम को लेकर सियासत हमारे देश में अक्सर चलती रहती है। खासतौर पर उत्तर प्रदेश में तो जगहों का नाम बदलने का ट्रेंड एक वक्त पर ऐसा चला कि लोग सोशल मीडिया पर सीएम योगी आदित्यनाथ को इस बात के लिए ट्रोल करने लगे और मीम्स भी बनाने लगे। लेकिन अब भारत के किसी शहर का नहीं बल्कि एक पूरे देश का नाम बदलने वाला है। जी हां, इस देश का नाम है तुर्की। दुनिया अब तुर्की को तुर्किये के नाम से जानेगी। संयुक्त राष्ट्र ने तुर्की का नाम बदलने के आग्रह को स्वीकार कर लिया। यूएन के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक के मुताबिक, तुर्की के विदेश मंत्री मेवतुल कावुसिग्लू ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया था कि तुर्की का नाम बदलकर तुर्किये कर दिया जाए। तुर्की के विदेश मंत्री मेवतुल कावुसिग्लू के इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए यूएन ने तुर्की को तुर्किये करने की मांग को मंज़ूरी दे दी है। लेकिन आखिर तुर्की को आखिर अपना नाम बदलने की क्या ज़रूरत पड़ गई ? आपके मन में भी ये सवाल ज़रूर आ रहा होगा। तो चलिए आपको इस सवाल का जवाब भी दिए देते हैं।
असल में, तुर्की का नाम बदलने के पीछे की वजह इसका इतिहास है। दरअसल, टर्की या तुर्की को वहां की स्थानीय भाषा में नेगेटिव सेंस में समझा जाता है। साल 1923 में आजादी मिलने के बाद से ही वहां के नागरिक अपने देश को तुर्की बोलने की बजाय तुर्किये बोलते आ रहे हैं। आधिकारिक रूप से तुर्की का नाम तुर्किये करने की कोशिश लंबे वक्त से जारी थी। इसके अलावा कहा ये भी जा रहा है कि तुर्की की सरकार तुर्किये नाम को पूरी दुनिया में एक ब्रांड के तौर पर स्थापित करना चाहती है इसलिए वो तुर्की नाम बदलने पर जोर दे रही थी और अब तुर्की सरकार की इस मांग को यूएन ने हरी झंड़ी दिखा दी है।
तुर्की में पिछली सरकार के शासन के दौरान ही देश का नाम तुर्की लिखना बंद कर दिया गया था। राष्ट्रपति एर्दोआन ने आदेश दिया था कि अब से तुर्की की जगह तुर्किये लिखा जाएगा। इसके बाद से ही तुर्की से एक्सपोर्ट होने वाले सामानों पर भी मेड इन तुर्की की जगह मेड इन तुर्किये लिखा जाने लगा। टूरिज्म प्रमोशन में भी तुर्की की जगह हेलो तुर्किये लिखा जाने लगा। अब तुर्की का नाम बदले जाने को मंजूरी मिलना वहां के लोगों के लिए खुशी की सौगात है।