नई दिल्ली। कहते है दुनिया में अपने लिए तो सब जीते है, लेकिन जो अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ दूसरों के लिए जीता है, वही महान कहलाता है। ऐसे व्यक्तियों का पूरा जीवन प्रेरणा से भरा होता है, इन्हें मरने के बाद भी लोग इन्हें लोग भूला नहीं पाते है और इनके काम को लोग पूरे दिल से याद करते है। ऐसीं हीं एक महान हस्ती का नाम है मदर टेरेसा। मदर टेरेसा को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन गरीबों और मानवता की सेवा में समर्पित कर दिया। यह एक कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने साल 1948 में भारत की नागरिकता प्राप्त कर ली थी। मदर टेरेसा अपने बेहतरीन विचारों और समाज सेवा के लिए भी दुनियाभर में जानी जाती रही हैं।
मदर टेरेसा का देहावसान
मदर टेरेसा का देहावसान 5 सिंतबर 1997 को हो गया था। मदर टेरेसा ने ”निर्मल हृर्दय” और निर्मला शिशु भवन के नाम से आश्रम खोले थे जिसमें वह लोगो की सहायता करती थी। मदर टेरेसा मजबूर और असहाय लोगों की सहायता करती रहती थी। उनके इस उदारवादिता स्वभाव को आज भी पूरा देश याद करता है।
मदर टेरेसा का पहनावा
मदर टेरेसा हमेशा नीली किनारे की साड़ी पहनती थी। दुखी, गरीब और लाचार लोगों की सेवा ही जीवन का व्रत होना चाहिए। मदर टेरेसा भारत की नहीं है लेकिन वह एक भारत आई और उन्हें यहां के लोग पसंद आए तब से वह यहीं रुक गई। फिर वह ईसाई ननों अध्यापन से जुड़ गई। इनका कहना था कि हर व्यक्ति के अंदर भगवान है। गौरतलब है कि मदर टेरेसा को 17 अक्टूबर 1979 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार के लिए सम्मानित किया गया था।