नई दिल्ली। जहां एक तरफ भारत में केंद्र की मोदी सरकार मुगलिया काल के प्रतीकों को ध्वस्त कर उसे हिंद के सैलाब में सराबोर करने की दिशा में सक्रिय हो चुकी है, तो वहीं दूसरी तरफ संयुक्त अरब अमीरात में भी अब भारत जैसी स्थिति ही पैदा होती नजर आ रही है। जी हां…आपको बता दें कि संयुक्त अरब अमीरात के रहनुमा द्वारा लिए जा रहे फैसले इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि वो भी अब पीएम मोदी की राह पर चलने के लिए बैताब हैं, लेकिन मामले की तह तक जाने के बाद आपको पता चलेगा कि सच्चाई कुछ और ही है। चलिए, पहले आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।
जानिए पूरा माजरा
संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपति व प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने अल मिनहाद शहर का नाम तब्दील कर हिंद रख दिया है। जैसे ही यह खबर प्रकाश में आई, तो वैश्विक पटल में सुर्खियों का बाजार गुलजार हो गया। तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। कयास लगने कि अब संयुक्त अरब अमीरात के रहनुमा भी पीएम मोदी की राह पर चल रहे हैं, लेकिन थोड़ा धैर्य रखिएगा। दरअसल, इस पूरे मसले से वाकिफ होने के बाद आप जैसा सोच रहे हैं, वैसा बिल्कुल भी नहीं है, तो अब मन ही मन सोच रहे होंगे कि आखिर जैसा हम नहीं सोच रहे हैं, वैसा नहीं है, तो फिर कैसा है? जरा कुछ खुलकर बताएंगे। तो चलिए अब हम आपको सबकुछ विस्तार से बताते हैं।
…लेकिन, सच्चाई कुछ और है..!
दरअसल, आपको यह जानकर हैरानी होगा कि ‘हिंद’ शब्द की मूल उत्पति अरब भाषा से हुई है, तो ऐसे में वे सभी कयास वैसे ही खारिज हो जाते हैं, जिसके जरिए यह बताने की कोशिश की जा रही है कि उक्त शहर का हिंद नाम रखकर शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम बीजेपी की राह पर चल रहे हैं। इसके साथ ही दूसरा तथ्य यह भी है कि शेख राशिद अल मकतूम की पहली पत्नी का नाम भी हिंद है। जिसकी याद में उन्होंने यह नाम रखा है। बता दें कि शेख मोहम्मद बिन लादेन ने अपनी पहली पत्नी से 26 अप्रैल 1979 में शादी रचाई थी, जिनसे उनके 12 बच्चे हैं।
तो अब आप उपरोक्त प्रसंग से वाकिफ होने के बाद समझ ही गए होंगे कि संयुक्त अरब अमीरात के रहनुमा अपने शहरों के नाम बदलकर बीजेपी की राह पर नहीं, बल्कि अपने पुराने संस्मरण को सहेजने की कोशिश कर रहे हैं। बहरहाल, अब आगामी दिनों में संयुक्त अरब अमीरात के रहनुमा के द्वारा क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।