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Kisan Andolan: ब्रिटिश संसद में हुई किसान आंदोलन पर बहस, भारत ने दिखाई सख्ती तो ब्रिटेन को देनी पड़ी सफाई

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के कृषि कानूनों (Farm Laws) के विरोध में किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) लगातार जारी है। दिल्ली बार्डर पर किसानों के आंदोलन को 100 दिन से अधिक समय हो चुका है। किसानों के मुताबिक ये तीनों कृषि कानून उनके हित में नहीं है ऐसे में केंद्र सरकार इन कानूनों को वापस ले।सरकार भी कानून वापस नहीं लेने पर अड़ी हुई है। वहीं भारत में चल रहे किसान आंदोलन की गूंज देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दे रही है। गौरतलब है कि पॉप सिंगर रिहाना, पोर्न स्टार मिया खलीफा, स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग समेत कई विदेशी हस्तियों ने भारत में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया था। इसके अलावा कनाडा, पाकिस्तान समेत कुछ मुल्कों में राजनेताओं ने भी किसान आंदोलन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इस आंदोलन का समर्थन किया था। अब इसी क्रम में एक और देश का नाम जुड़ा गया है और वह ब्रिटेन।

दरअसल 8 मार्च को किसान आंदोलन को लेकर ब्रिटिश संसद में चर्चा हुई। बता दें कि किसान आंदोलन पर ब्रिटेन की संसद में एक पेटिशन पर लाखों साइन हुए। जिसके बाद इस मुद्दे पर 8 मार्च को संसद में चर्चा हुई। हालांकि ब्रिटेन की संसद में किसान आंदोलन पर चर्चा होने पर भारत ने कड़ा ऐतराज जताया। भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि संसद में चर्चा के दौरान एकतरफा और झूठे तथ्य रखे गए। हालांकि भारत की सख्ती के आगे ब्रिटेन को सफाई भी देनी पड़ी।

ब्रिटिश सरकार में मंत्री नाइजल एडम्स (Nigel Adams) का कहना है कि कृषि सुधार भारत का आंतरिक मुद्दा है। एडम्स ने भारत-ब्रिटेन की दोस्ती काफी पुरानी है। दोनों ही देश आपसी सहयोग से द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार हैं। एडम्स ने उम्मीद जताई कि जल्द ही भारत सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत के माध्यम से कोई सकारात्मक रिजल्ट निकलेगा।

बता दें कि लेबर पार्टी ने इस चर्चा की मांग की थी और हस्ताक्षर अभियान चलाया था, जिस पर 1 लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए थे। लेबर पार्टी के जिमी कॉर्बिन के मुताबिक, भारत में चल रहे इस आंदोलन में 250 मिलियन लोगों ने हिस्सा लिया है और इस तरह यह इस धरती के इतिहास का सबसे बड़ा आंदोलन है। इसलिए भारत सरकार को अपने कृषि बिल तत्काल वापस लेना चाहिए।

वहीं PoK से संबंध रखने वाले लेबर पार्टी के सांसद ताहिर अली ने मांग की कि यूके की सरकार को नरेंद्र मोदी के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाए और भाजपा सरकार के खिलाफ कदम उठाए।

ये पहली बार नहीं है जब ब्रिटिश सरकार से किसान आंदोलन को लेकर सवाल किए जा चुके हैं। लेकिन, हर बार उन्होंने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताते हुए खुद को अलग करने की कोशिश की थी।

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