नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आगाज़ हो चुका है। दुनियाभर में इस तनाव के बीच तीसरे विश्व युद्ध की आशंका पुख्ता होती दिख रही है क्योंकि यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद नाटो देश भी जंग के मैदान से खुद को दूर नहीं रख पाएंगे और अमेरिका इस पूरे परिदृश्य से बाहर नहीं है। मगर युद्ध की इस गहमागहमी के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक सीक्रेट प्लेबुक के बारे में जान लीजिए, जिसमें दर्ज है अमेरिका को पटखनी देने का ‘रशियन प्लान’, तो क्या है पुतिन की ये सीक्रेट प्लेबुक जानिए। पुतिन की इस सीक्रेट प्लेबुक का जिक्र सबसे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने किया था और कहा था कि यूक्रेन का तनाव इस प्लान की शुरूआत भर है। दरअसल, पिछले साल एक किताब आई थी जिसे अमेरिकी खुफिया एजेंसी की एजेंट रहीं रेबेका कॉफलर ने लिखा था। उनकी इस किताब का टाइटल था Putin’s Playbook: Russia’s Secret Plan to Defeat America’ यानी अमेरिका को हराने के लिए रूस का सीक्रेट प्लान। इस किताब में कॉफलर ने बताया था कि सोवियत संघ के पतन को व्लादिमीर पुतिन ने कैसे रूस के अपमान के तौर पर लिया था। उन्होंने ये भी लिखा पश्चिमी देशों के साथ युद्ध में पुतिन रूस को एक ग्रेट पावर के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो कई सारे देशों का जन्म हुआ। इन देशों में कई तरह के संघर्ष भी हुए, जैसे मोल्दोवा के ट्रांसनिस्ट्रिया, जॉर्जिया के अंदर साउथ ओसेशिया और अबकाजिया। इन संघर्षों में रूस बड़ी भूमिका में हमेशा खुद को देखता है।
इसी तरह रूस ने डोनबास (Donbas) में किया। डोनबास पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा है। रूस ने माना कि डोनेत्स्क और लुहंस्क के अलगाववादी स्थानीय थे, जिन्होंने यूक्रेन सरकार के खिलाफ हथियार उठाए थे। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि डोनेत्स्क और लुहंस्क के अलगाववादियों को रूस ने समर्थन दिया और उन्हें हथियार मुहैया कराए। अब रूस ने इन इलाकों को अलग देश की मान्यता दे दी है। प्लेबुक के मुताबिक रूस का अगला कदम हो सकता है डोनबास को पूरी तरह यूक्रेन से काटकर वहां भी सेना घुसा देना ताकि यूक्रेन बिखर जाए और पश्चिमी देशों के लिए इन इलाकों में सेना रखना मुश्किल हो जाए। दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व को खत्म करने के लिए पुतिन के जिस प्लेबुक की चर्चा हो रही है और जिसकी शुरुआत आज यूक्रेन में दिख रही है। 2008 में रूस उसका ट्रायल जॉर्जिया में कर चुका है जहां तेज हमले के साथ रूस ने विरोधी ताकतों को घुटने पर ला दिया था। 2008 में भी रूस ने जॉर्जिया पर नरसंहार का आरोप लगाया था।
यूक्रेन की तरह जॉर्जिया भी नाटो में शामिल होना चाहता था। रूस का मकसद था कि जॉर्जिया नाटो में शामिल न हो और रूस इसमें सफल भी रहा। 2008 में रूस ने उस समय जॉर्जिया के अबकाजिया और दक्षिण ओसेशिया को भी अलग देश की मान्यता दे दी थी और अपनी सेना भेज दी थी। अब यही फॉर्मूला यूक्रेन पर भी आजमाया जा रहा है। इस सीक्रेट प्लेबुक के मुताबिक रूस यूक्रेन पर कई चरणों में हमला कर सकता है। उन्होंने बताया कि रूस यूक्रेन पर नागरिकों के खिलाफ ड्रोन स्ट्राइक और बमबारी के आरोप लगा सकता है। रूस इसे नरसंहार बता सकता है। उन्होंने बताया कि इसके बाद यूक्रेन में मौजूद अपने नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देकर रूस जवाबी कार्रवाई की बात कर सकता है, क्योंकि ऐसा ही उसने 2008 में जॉर्जिया के साथ भी किया था।
तीसरा काम रूस ये करेगा कि वो यूक्रेन पर साइबर हमला कर सकता है और वहां के कम्युनिकेशन को जाम कर सकता है। इसके बाद रूसी टैंक और सैनिक राजधानी कीव समेत पहले से तय किए गए यूक्रेनी ठिकानों पर हमला करेंगे। विरोधियों को बैकफुट पर लाने के लिए रूस साइबर हमलों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल करता रहा है। जनवरी में भी यूक्रेन की 70 से ज्यादा सरकारी वेबसाइटें डाउन हो गई थीं जिनके ज़िम्मेदार यूक्रेन ने रूस को ठहराया था। रूस इससे पहले भी 2014 में यूक्रेन के हिस्से क्रीमिया पर कब्ज़ा कर चुका है। लिहाज़ा, ये कहा जा सकता है कि अमेरिका को हराने की रशियन स्क्रिप्ट का खुलासा करने वाली Putin’s Playbook में रूसी राष्ट्रपति की अखंड रशिया वाली महत्वकांक्षा का मास्टरप्लान दर्ज है।