कीव। यूक्रेन पर हमले के चौथे दिन वहां के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलिंस्की ने अब अमेरिका और यूरोप के देशों समेत संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से नई और अनोखी अपील की है। जेलिंस्की ने सभी देशों से अपील की है कि वे मिलकर रूस से संयुक्त राष्ट्र में वोटिंग का अधिकार छीन लें। जेलिंस्की की इस अपील पर क्या संयुक्त राष्ट्र के सभी देश मिलकर कोई कदम उठा सकते हैं ? इस सवाल की पड़ताल यहां हम कर रहे हैं। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के अलग-अलग कई अंग हैं। इनमें सबसे ऊपर संयुक्त राष्ट्र महासभा है। महासभा में दुनिया के 193 देश हैं। इसके अलावा उसका एक अंग सुरक्षा परिषद भी है। ये दुनिया का सबसे ताकतवर केंद्र माना जाता है और 5 प्रमुख देश इसके सदस्य हैं। संयुक्त राष्ट्र का चार्टर कहता है कि दुनिया में कहीं भी अगर युद्ध की स्थिति आती है, तो सुरक्षा परिषद के सदस्य उस संबंध में जो फैसला लेंगे, उसे संबंधित देशों को मानना होगा।
दुनिया के ज्यादातर युद्ध या संघर्ष के दौरान सुरक्षा परिषद के चार्टर का यही पेच मुश्किल खड़ी करता है। चार्टर के मुताबिक 5 ताकतें हैं, जो किसी भी प्रस्ताव को वीटो कर सकती हैं। इनमें रूस भी है। रूस के अलावा वीटो का अधिकार अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन के पास भी है। सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में कहीं ये नहीं लिखा कि स्थायी सदस्यों या किसी देश को इस संगठन से हटाया जा सकता है। कोई देश अगर चाहे, तो वो खुद इस संगठन की सदस्यता से इस्तीफा दे सकता है। कई देश पहले संयुक्त राष्ट्र के सदस्य थे, लेकिन इस्तीफा देकर इससे अलग हो चुके हैं।
अब चार्टर में जब नियम ही नहीं है, तो भला रूस से वोटिंग का अधिकार कैसे छीना जा सकता है ? बता दें कि यूक्रेन के मसले पर जब सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव आया था, तो रूस ही परिषद की अध्यक्षता कर रहा था और प्रस्ताव के खिलाफ उसने वीटो लगा दिया था। इसके अलावा भारत, चीन और यूएई ने प्रस्ताव पर हुए मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। इस तरह यूक्रेन के मसले पर अमेरिका और अन्य देशों को कुल 11 वोट तो मिले थे, लेकिन रूस के वीटो की वजह से प्रस्ताव पास नहीं हो सका था।