नई दिल्ली। भारत से तनाव के बीच चीन को अमेरिका ने एक बार फिर बड़ा झटका दिया है। भारत से विवाद कर रहे चीन को दुनिया भर के देश घेरने में जुटे हैं। लेकिन ड्रैगन अपनी नापाक साजिशों से बाज नहीं आ रहा है। इसके मद्देनजर अब ज्यादातर देश चीन को सबक सिखाने के लिए कड़ी कार्रवाई करने के मूड में नजर आ रहे है। इस बीच अमेरिका ने चीन को तगड़ा झटका दिया है।
अमेरिका ने हांगकांग विवाद को लेकर ड्रैगन के खिलाफ बड़ा एक्शन लेते हुए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के मौजूदा और पूर्व पदाधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगा दिया है। इसकी घोषणा खुद अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने की। आपको बता दें कि हांगकांग को लेकर चीन की कार्रवाई को लेकर अमेरिका सख्त नाराज है।
माइक पोम्पियो ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि, आज मैं सीसीपी के मौजूदा और पूर्व अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंधों की घोषणा करता हूं। इनके बारे में माना गया है कि इन्होंने 1984 चीन-ब्रिटेन संयुक्त घोषणा पत्र में गारंटी प्रदान की गयी हांगकांग की उच्च स्तर की स्वायत्तता को दबाया या मानवाधिकारों और बुनियादी स्वतंत्रता को कमतर किया या ऐसा करने में इनकी मिलीभगत है।
US imposes visa restrictions on Chinese Communist Party officials over Hong Kong national security law
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— ANI Digital (@ani_digital) June 26, 2020
माइक पोम्पियो ने कहा, ‘अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने हांगकांग की स्वतंत्रता को अशक्त करने वाले चीन के अधिकारियों को सजा देने का वादा किया था। आज हम इस संबंध में कार्रवाई कर रहे हैं। हम हांगकांग की स्वायत्तता और मानवाधिकारों को दबाने के लिए जिम्मेदारी चीनी अफसरों पर वीजा संबंधी प्रतिबंध लगा रहे हैं।’
President Trump promised to punish the CCP officials responsible for eviscerating Hong Kong’s freedoms. Today, we’re taking action to do just that-we’ve announced visa restrictions on CCP officials responsible for undermining Hong Kong’s autonomy&human rights: US Secy of State pic.twitter.com/woDnkfldDL
— ANI (@ANI) June 26, 2020
इससे पहले अमेरिकी सीनेट ने हांगकांग की सम्प्रभुता की रक्षा के लिए सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया है। विधेयक में हांगकांग पर सख्त ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ कानून लागू करने के लिए जिम्मेदार चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस बल को भी निशाना बनाया है जिसने हांगकांग प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार किए थे।