नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ का दुबई में लंबी बीमारी से आज निधन हो गया। वे अमाइलॉइडोसिस नामक बीमारी से पीड़ित थे। इस बीमारी में मरीज के अंग काम करना बंद कर देते हैं। बीते दिनों एक वीडियो भी सामने आया था। जिमसें परवेज व्हीलचेयर पर बैठे दिखे थे। परिजनों ने खुद परवेज के निधन की पुष्टि की है। भारत के खिलाफ करगिल युद्ध की अगुवाई परवेज मुशर्रफ ने ही की थी। लेकिन भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी। उस वक्त उन्होंने पाकिस्तान की हुई पराजय का ठीकरा तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के सिर फोड़ा था। इस संदर्भ में एक प्रसंग का जिक्र उन्होंने अपनी एक किताब में भी किया है। हालांकि, भारतीय सेना से मुंह की खाने के बावजूद भी परवेज को पाकिस्तानी सरकार ने सम्मानित किया था। यही नहीं, उन्हें नवाज शरीफ ने अपने कार्यकाल में सेनाध्यक्ष भी बनाया था। लेकिन परवेज ने उनके साथ भी दगाबाजी करने से गुरेज नहीं किया।
परवेज ने नवाज हुकूमत का तख्तापलट कर दिया और खुद पाकिस्तान की कमान अपने हाथों में संभाल ली। इसके बाद वे खुद राष्ट्रपति की कुर्सी पर विराजमान हो गए। लेकिन बाद में उनके खिलाफ मॉर्शल लॉ लागू हुआ जिसके बाद उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ। नतीजतन वे पाकिस्तान से दुबई गए, लेकिन यहां वे एक ऐसी बीमारी के शिकार हो गए। जिसके बाद उनके शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया। बाद में पाकिस्तानी राजनीति में उनकी सक्रियता शून्य पर पहुंच गई, लेकिन जानकारों का कहना है कि उनकी पाकिस्तानी राजनीति में उनकी प्रासंगिकता हमेशा ही बनी रही। राजनीति के अलावा खेल के प्रति भी उनका विशेष जुड़ाव था। उनके निधन के बाद उनके द्वारा महेंद्र सिंह धोनी के लंबे वालों की तारीफ करने वाला प्रसंग अभी खासा सुर्खियों में है। खैर, इस रिपोर्ट में हम आपको उनके कश्मीर को लेकर रुख के बारे में बताने जा रहे है।
आपको बता दें कि एक मर्तबा उन्होंने अपने आवास में पाकिस्तान के कई दिग्गज पत्रकारों को आमंत्रित किया था। जिसमें मोहम्मद जियाउद्दीन भी शामिल थे। जियाउद्दीन के बारे में बताया जाता है कि वे पाकिस्तान के बेखौफ पत्रकारों में से एक थे। हुकूमत से बेखौफ होकर सवाल पूछना उनकी फितरत में शुमार था और उनकी इसी फितरत के लोग कायल थे। आज भी पाकिस्तानी मीडिया में उनके नाम के चर्चें होते हैं। उनके पत्रकारिय जीवन से जुड़े प्रसंगों को पाकिस्तान के नवीन पत्रकार अपने करियर के लिए प्ररेणास्रोत मानते हैं। ऐसी स्थिति में आप उनकी प्रासंगिकता का अंदाजा सहज ही लगा सकते हैं।
खैर, परवेज मुशर्रफ ने अपने आवास में सभी आमंत्रित पत्रकारों के बीच कश्मीर को कब्जे में करने का खाका पेश किया, तो वरिष्ठ पत्रकार जियाउद्दीन भड़क गए। बता दें कि मुशर्रफ ने यहां तक दावा कर दिया था कि अगर उन्हें नवाज शरीफ मंजूरी दे दें, तो वो महज तीन दिनों के दरम्यान ही कश्मीर को अपने कब्जे में ले लेंगे। इसके बाद पत्रकारों के बीच परवेज मुशर्रफ अपना पूरा प्लान पेश कर रहे थे। पत्रकारों के बीच साझा कर रहे थे कि वो कैसे कश्मीर को अपने कब्जे में कर सकते हैं। उनका क्या प्लान है। लेकिन उनके सभी प्लानों की मोहम्मद जियाउद्दीन ने ना महज मुखालफत की, बल्कि उनकी जुबां से अवतरित हुए एक-एक अल्फाजों की जियाउद्दीन ने पोल खोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिससे परवेज मुशर्रफ खासा नाराज हो गए थे। बताया जाता है कि उन्होंने फिर कभी जियाउद्दीन से बात नहीं की थी। आज पाकिस्तान में इस प्रसंग की चर्चा होती है। लोग पाकिस्तान में आज भी इस प्रसंग का हवाला देते हैं।