नई दिल्ली। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में पुलिस ने इस्कॉन प्रवक्ता और धार्मिक नेता चिन्मय दास को गिरफ्तार कर लिया है, जिसके बाद देशभर में विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं। राजधानी और शाहबाग इलाके में लोग उनकी रिहाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं।
गिरफ्तारी की घटना के बाद बवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चिन्मय दास सोमवार को साढ़े तीन बजे हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे थे। वह चट्टग्राम के लिए रवाना होने वाले थे। तभी सादे कपड़ों में कुछ लोग, जो खुद को खुफिया विभाग का सदस्य बता रहे थे, एयरपोर्ट में दाखिल हुए और उन्हें अपने साथ ले गए।
क्या हैं आरोप?
ढाका पुलिस ने बताया कि चिन्मय दास की गिरफ्तारी उनके खिलाफ दर्ज एक शिकायत के आधार पर की गई है। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्र ध्वज के अपमान का आरोप लगाया गया है। यह शिकायत पूर्व बीएनपी नेता फिरोज खान ने की थी।
फिरोज खान ने आरोप लगाया कि 25 अक्टूबर को चट्टग्राम में हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान चिन्मय दास और 18 अन्य लोगों ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अनादर किया। हालांकि, यह मामला तब और उलझ गया जब कुछ दिनों बाद ही फिरोज खान को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में बीएनपी से निकाल दिया गया। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और अब तक दो अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है।
कौन हैं चिन्मय दास?
चिन्मय दास चट्टग्राम स्थित पुंडरिक धाम के प्रमुख हैं, जो बांग्लादेश इस्कॉन का हिस्सा है। वह बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख चेहरे हैं और इस्कॉन के प्रवक्ता के रूप में भी जाने जाते हैं। दास धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के लिए मुखर रहे हैं। शेख हसीना सरकार के सत्ता से हटने के बाद से उन्होंने अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की थी।
हाल की घटनाएं और बढ़ती हिंसा
बांग्लादेश की कुल आबादी में हिंदू समुदाय की हिस्सेदारी करीब 8% है। इस्कॉन संगठन बांग्लादेश में 77 से अधिक मंदिरों का संचालन करता है और इससे करीब 50,000 लोग जुड़े हुए हैं। हाल के महीनों में, शेख हसीना सरकार के जाने के बाद, हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इन घटनाओं ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इन मुद्दों पर चिंता व्यक्त की थी।