News Room Post

Bangladesh Minority : बांग्लादेश में मशाल लेकर सड़कों पर क्यों उतर आया अल्पसंख्यक समुदाय, सरकार को दी खुली वॉर्निंग

नई दिल्ली। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर अत्याचार एक लम्बे समय से बड़ा मुद्दा रहा है। अल्पसंख्यक इसके विरोध में अक्सर आंदोलन करते रहते हैं। इस बार, बांग्लादेश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक संगठन बांग्लादेश हिंदू बौद्ध ईसाई ओइक्या परिषद ने राजधानी ढाका और अन्य हिस्सों में मशाल जुलूस निकाला। इन्होंने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सत्तारूढ़ अवामी लीग के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने की मांग रखी। ओइक्या परिषद के महासचिव एडवोकेट राणा दासगुप्ता ने ऐलान किया कि परिषद मार्च से सभी संभागीय शहरों में रैलियां निकालेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समय सीमा के भीतर मांगें पूरी नहीं हुईं तो मध्य जुलाई से आमरण अनशन किया जाएगा।


आपको बता दें कि बांग्लादेश के ओइक्या परिषद के नेताओं ने बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में अल्पसंख्यक समुदायों के योगदान पर जोर डाला। स्पीकर्स ने कहा कि स्टेट रिलिजन के कॉन्सेप्ट ने बांग्लादेश के सभी अल्पसंख्यकों को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक बना दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को वर्षों से अभाव, भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है। उन्होंने आशंका जताई कि जैसे ही देश में चुनाव नजदीक आएंगे, अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले बढ़ जाएंगे। वक्ताओं ने कहा कि देश मुक्ति संग्राम की भावना से पीछे हटने लगा है।


गौरतलब है कि परिषद के नेताओं ने सरकार को याद दिलाया कि सत्तारूढ़ अवामी लीग ने 2018 के चुनावी घोषणा पत्र में कौन से वादे किए थे। इसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग स्थापित करने, अल्पसंख्यक संरक्षण अधिनियम, भेदभाव विरोधी अधिनियम, निहित संपत्ति अधिनियम के हस्तांतरण और हिल ट्रैक्ट ट्रीटी के कार्यान्वयन का वादा किया था। साथ ही मैदानी इलाकों में रहने वाले आदिवासियों के लिए अलग लैंड कमीशन की स्थापना करने का वादा किया गया था।

Exit mobile version