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World News: तालिबानी संकट के बीच सत्ता पाने वाले अली अहमद जलाली निभा चुके हैं अफगानिस्तान के लिए मुख्य भूमिका

ali ehmad jalali

नई दिल्ली। अफगानिस्तान में यहां बढ़ रहे तालिबान के आतंक के बीच अली अहमद जलाली को बनाया जा सकता है। आतंक के बीच सत्ता संभालने वाले अली अहमद जलाली की बात करें तो वो अफगानिस्तान के लिए सिर्फ एक बड़े नेता ही नहीं है बल्कि कूटनीतिक मामलों में वह काफी सक्षम माने जाते हैं। कई मौकों पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर चुके अली अहमद जलाली के पास का अनुभव काफी लंबा है। वह एक राजदूत से लेकर प्रोफेसर तक, एक कर्नल से लेकर सरकार में मंत्री तक हर वह पद संभाल चुके हैं जिससे वह अफगानिस्तान की राजनीति को समझाने में बिल्कुल समर्थ माने जा रहे हैं और इस पर उनकी अच्छी पकड़ भी है।

जलाली का महत्वपूर्ण कदम

अफगानिस्तान की सत्ता पाने वाले अली अहमद जलाली पर आज लोगों की आस इसलिए भी बंध सकती है क्योंकि जब वह देश में इंटीरियर मंत्री हुआ करते थे तब उनकी तरफ से अफगान नेशनल पुलिस की पूरी एक फौज खड़ी कर दी गई थी। जलाली द्वारा खड़ी की गई इस फौज में करीब 50 हजार जवानों को ट्रेनिंग दी गई साथ ही 12 हजार अतिरिक्त सैनिकों की सीमा पुलिस में भी तैनाती की गई।

आतंकवाद का मुद्दा हो या फिर घुसपैठ का हर मुद्दे पर जलाली की नई नीति स्पष्ट और एकदम सख्त थी। इसके अलावा जब साल 2004 में राष्ट्रपति चुनाव और साल 2005 में संसदीय चुनाव कराने थे तब भी जलाली ने अहम भूमिका अदा की। वहीं अब जब अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक पूरे चरम पर है ऐसे में उन्हें जो चुनौती पूर्ण स्थिति में बागडोर सौंपी जा रही है वह काफी कठीन मानी जा रही है।

अफगानिस्तान के लिए जलाली ही क्यों ?

अमेरिका में जन्मे अली अहमद जलाली 1987 से ही अमेरिका के नागरिक थे और मैरीलैंड में रहने वाले थे। जिसके बाद साल 2003 में अफगानिस्तान में उस समय उनकी वापसी हुई जब तालिबान का कहर धीरे-धीरे कम हो रहा था। तालिबान के घट रहे कहर के बीच देश में एक मजबूत सरकार की दरकारा थी। उस वक्त जलाली को देश का इंटीरियर मिनिस्टर नियुक्त किया गया था। साल 2005 सितंबर तक वह इस पद पर बने रहे। जब 80 के दशक में अफगानिस्तान में सोवियत संघ के साथ लंबा युद्ध चला तब भी अहमद जलाली ने सक्रिय भूमिका निभाई। उस समय वह अफगान आर्मी में कर्नल के पद पर तैनात थे।

जलाली उस दौर में शीर्ष कलाकार की भूमिका अदा कर रहे थे। ऐसे कठिन समय में हर बार अहमद जलाली ने अफगानिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण नीव का काम किया। ऐसे में जब यह देखा जा सकता है कि अफगानिस्तान में तालिबान का आतंक बढ़ चुका है। तो सरकार के पास भी जलाली को जिम्मेदारी देने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। यह सरकार की मजबूरी और उम्मीद दोनों ही है। ऐसे में अब देखना होगा कि वह कब और कितने वक्त में अफगानिस्तान को इस दहशत से मुक्ति दिला पाते हैं।

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