नई दिल्ली। नवरात्र (Navratri 2020) में देवी को खोंचा देने की भी परंपरा है। मान्यता है कि इससे सौभाग्य और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है। इस नवरात्र ना पूजा पंडाल सजा है ना मंदिर के कपाट खुले हैं ऐसे में खोंचा देने के लिए आपको बाहर जाने की जरूरत भी नहीं है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता को खोंचा भरने के लिए किसी मंदिर में जाना ही जरूरी नहीं है। नवरात्र के दिनों में माता सभी के घरों में कन्या रूप में और उनकी जितनी भी मूर्तियां हैं उनमें निवास करती हैं। इसलिए घर में माता की मूर्ति और तस्वीर के सामने एक लाल वस्त्र में चावल, सिंदूर, हल्दी का टुकड़ा, चूड़ियां, बिंदी, काजल, महावर और कुछ पैसे रखकर माता के सामने रखें और उनसे सौभाग्य वृद्धि की प्रार्थना करें।
पंडित दयानन्द शास्त्री जी बताते हैं कि नवरात्र के बाद इस खोंचा की सामग्री की किसी सुहागन स्त्री को भेंट कर दें अथवा स्वयं भी प्रयोग करें। आप चाहें तो चावल की जगह जीरा का भी प्रयोग कर सकते हैं। नवरात्र के आखिरी दो दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन या कंजक पूजा बेहद शुभ माना जाता है। नवरात्रि के दौरान पूजी जाने वाली इन कन्याओं को दुर्गा माता का ही अलग-अलग रूप माना जाता है।
कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाने के साथ-साथ उन्हें भेंट देकर विदा किया जाता है। लेकिन इस बार आप पहले की तरह कन्या पूजन नहीं कर पाएंगे। वजह है कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए देश भर में लगाया गया लॉकडाउन द्वारा आपके घर के सामने एक लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है।
इस लक्ष्मण रेखा का हर हाल में पालन हम सभी को करना है। यानी कि आप और हमेशा की तरह इस नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए कन्याओं को घर पर नहीं बुला सकते तो क्या इस बार हमें कन्या पूजन नहीं करना चाहिए? जवाब है यह हैं कि कन्या पूजन करेंगे लेकिन थोड़ा अलग तरीके से विधि-विधान संपन्न किया जाएगा।
कन्या पूजन कब है?
इस शारदीय नवरात्रि के आठवें दिन दिन नवमी का त्योहार भी है। आप अपनी सुविधानुसार अष्टमी या नवमी में से कोई भी एक दिन चुन सकते हैं।
लॉकडाउन के दौरान कन्या पूजन
– ध्यान रहे कि कन्या पूजन से पहले घर में साफ-सफाई हो जानी चाहिएहैं।
– अष्टमी के दिन कन्या पूजन के दिन सुबह-सवेरे स्नान कर भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करेंहैं।
– अगर नवमी के दिन कन्या पूजन कर रहे हैं तो भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मां सिद्धिदात्री की पूजा करेंहैं।
– वर्तमान परिस्थितियों में लॉकडाउन के चलते कन्याओं को घर पर नहीं बुलाया जा सकता। ऐसे में आप अपनी बेटी या घर में मौजूद भतीजी की पूजा कर सकते हैं। ध्यान रहे कि कन्या की आयु 10 वर्ष से ऊपर नहीं होनी चाहिए।
– अगर आपके घर में कोई बालक है तो कन्या पूजन में उसे भी बैठाएं। दरअसल, बालक को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने हर शक्ति पीठ में माता की सेवा के लिए बटुक भैरव को तैनात किया हुआ है। कहा जाता है कि अगर किसी शक्ति पीठ में मां के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन न किए जाएं तो दर्शन अधूरे माने जाते हैं।
– घर की बेटी या भतीजी को आसन पर बैठाने से पहले जय माता दी का जयकारा लगाएं।
– अब कन्या को बैठने के लिए आसन दें।
– अब उनके पैर धोएं।
– अब उन्हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
– इसके बाद उनके हाथ में मौली बाधें।
– अब उन्हें घी का दीपक दिखाकर उनकी आरती उतारें।
– आरती के बाद खाने के लिए पूरी, चना और हलवा दें।
– भोजन के बाद उन्हें यथाशक्ति भेंट और उपहार दें।
– इसके बाद उनके पैर छूएं।