नई दिल्ली। इन दिनों देश भर में शारदीय नवरात्र की धूम है। जैसा कि आप जानते हैं नौ दिनों तक चलने वाले माता रानी के इस त्यौहार का हर दिन दुर्गा मां के विभिन्न रूपों को समर्पित होता है। आज 9 अक्टूबर, बुधवार का दिन है। आज माता दुर्गा के सातवें रूप यानी मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि को कष्टों और दुखों से मुक्ति दिलाने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। दुर्गा मां के इस रूप को साहस और वीरता का प्रतीक माना जाता है। मां कालरात्रि की पूजा करने से व्यक्ति को सिद्धि की प्राप्ति होती है। चलिए आज आपको बताते हैं मां कालरात्रि की पूजा से लेकर, मां के प्रिय रंग, भोग और मां कालरात्रि की पूजा के लिए उचित मंत्रों तक सबकुछ विस्तार से।
मां कालरात्रि का स्वरूप
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक मां कालरात्रि का शरीर अंधेरे की तरह काला है। मां सांस लेती हैं तो उनके मुख और नाक से ज्वाला प्रवाहित होती है। मां कालरात्रि के बाल लंबे और बिखरे हैं। गले में बिजली की तरह चमकती माला पहने मां की तीन आंखें हैं। कालरात्रि मां हाथों में तलवार और लोहे का शस्त्र रखती हैं। वहीं, मां कालरात्रि के अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभय मुद्रा में रहते हैं।
मां कालरात्रि का प्रिय भोग
कालरात्रि को भोग (Bhog) में गुड़ अतिप्रिय माना जाता है और इसीलिए भोग में गुड़ ही चढ़ाया जाता है। माता को गुड़ से बनी मिठाइयां और पकवान अर्पित किए जा सकते हैं।
मां कालरात्रि का प्रिय रंग
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कालरात्रि की पूजा में उनके प्रिय रंगों के वस्त्र पहनकर पूजा करना बेहद शुभ होता है। मां कालरात्रि का प्रिय रंग लाल माना जाना है। ऐसे में मां कालरात्रि की पूजा में लाल रंग के वस्त्र धारण किए जा सकते हैं।
मां कालरात्रि मंत्र
ॐ कालरात्र्यै नम:।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता,
लम्बोष्टी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी।
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा,
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्ति हारिणि।
जय सार्वगते देवि कालरात्रि नमोस्तुते॥
ॐ ऐं सर्वाप्रशमनं त्रैलोक्यस्या अखिलेश्वरी।
एवमेव त्वथा कार्यस्मद् वैरिविनाशनम् नमो सें ऐं ॐ।।