फलित ज्योतिष में शनि ग्रह सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला विषय है और ज्यादातर हम लोगों के मन में शनि को लेकर एक डर की स्थिति तो बनी रहती है पर असल में हमारी कुंडली में स्थित शनि ग्रह का हमारे जीवन में कितना विशेष महत्व है इस पर हम ध्यान नहीं देते। नवग्रह मंडल में सूर्य को राजा की उपाधि प्राप्त है, बुध को मंत्री, मंगल को सेनापति, शनि देव को न्यायाधीश, राहु-केतु प्रशासक, गुरु अच्छे मार्ग का प्रदर्शक, चंद्र माता और मन का प्रदर्शक, शुक्र पति के लिए पत्नी और पत्नी के लिए पति तथा वीर्य बल। जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है तो शनि के आदेश के तहत राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। शनि की अदालत में दंड पहले दिया जाता है, बाद में मुकदमा इस बात के लिए चलता है कि आगे यदि इस व्यक्ति के चाल-चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बीतने के बाद इसे फिर से खुशहाल कर दिया जाए या नहीं।
देवता: भैरव जी
गोत्र: कश्यप
जाति: क्षत्रिय
रंग: श्याम, नीला
वाहन: गिद्ध, भैंसा
दिशा: वायव्य
वस्तु: लोहा, फौलाद
पोशाकः जुराब, जूता
पशु: भैंस या भैंसा
वृक्ष: कीकर, आक, खजूर का वृक्ष
राशि: बु.शु.रा.। सू, चं.मं.। बृह.
भ्रमण: एक राशि पर ढ़ाई वर्ष
शरीर के अंग: दृष्टि, बाल, भवें, कनपटी
पेशा: लुहार, तरखान, मोची
स्वभावः मुर्ख, अक्खड़, कारिगर
गुण: देखना, भालना, चालाकी, मौत, बीमारी
शक्ति: जादूमंत्र देखने दिखाने की शक्ति, मंगल के साथ हो तो सर्वाधिक बलशाली।
राशि: मकर और कुम्भ का स्वामी। तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवां भाव पक्का घर।
ज्योतिष में शनि को कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, अनुशासन, दूरदृष्टि, प्राचीन-वस्तु, लोहा, स्टील, कोयला, पेट्रोल, पेट्रोलयम प्रोडक्ट, मशीन, औजार, तकनीक और तकनीकी कार्य, तपस्या और अध्यात्म का कारक माना गया है।
स्वास्थ्य की दृष्टि से भी शनि हमारे पाचन-तंत्र, हड्डियों के जोड़, बाल, नाखून, पैरों के पंजे और दांतों को नियंत्रित करता है।
सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये ही है के हमारी आजीविका या करियर शनि द्वारा ही नियंत्रित होता है, इसलिए अगर कुंडली में शनि अच्छी और मजबूत स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपने करियर में अच्छी सफलता मिलती है। परन्तु यदि कुंडली में शनि कमजोर हो तो ऐसे में करियर में संघर्ष और बार-बार उतार चढ़ाव की स्थिति बनती है।
नौकरी करने वाले लोगों के लिए मजबूत शनि उन्हें अच्छी स्तर की नौकरी दिलाता है वहीं कुंडली में शनि कमजोर होने पर मन मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती और बार-बार छूटने की स्थिति भी बनती रहती है तो कुल मिलाकर हमारे करियर की सफलता में शनि की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
शनि मशीनों और तकनीकी कार्यों का कारक है इसलिए आज के समय में शनि की महत्ता सबसे ज्यादा है क्योंकि हर काम में तकनीक और मशीनों का उपयोग होता है….
जिन लोगों की कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में होता है उन्हें इंजीनियरिंग और तकनीकी कार्यों में अच्छी सफलता मिलती है।
कुंडली में शनि मजबूत होने पर व्यक्ति हर बात का गहनता से अध्यनन करने वाला और दूर की सोच रखने वाला होता है।
जिन लोगों की कुंडली में शनि स्व या उच्च राशि (मकर, कुम्भ, तुला) में होकर केंद्र में होता है, उन्हें अपने करियर में उच्च पदों की प्राप्ति होती है।
राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी शनि एक बहुत विशेष महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि अगर कुंडली में शनि मजबूत ना हो तो ऐसे में अच्छा जन समर्थन नहीं मिल पाता इसलिए राजनैतिक सफलता के लिए भी शनि का बहुत अधिक महत्त्व है।
लोहा स्टील गैस प्लास्टिक केमिकल प्रोडक्ट्स और कांच ये सभी शनि के अन्तर्गत आते हैं इसलिए इन वस्तुओं से जुड़े व्यापर में सफलता भी व्यक्ति को तभी मिलती है जब कुंडली में शनि मजबूत हो।
जो लोग प्राचीन वस्तुओं या किसी भी प्रचीन विषय को लेकर रिसर्च करते हैं वे भी अच्छे शनि के कारण ही सफल हो पाते हैं।
अध्यात्म मार्ग में भी शनि का बड़ा विशेष महत्व है अगर कुंडली के नौवे भाव में शनि स्थित हो या नवे भाव पर शनि का प्रभाव हो तो ऐसे में व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाला होता है।
स्वास्थ की दृष्टि से भी शनि की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है अगर कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को पाचन तंत्र और पेट से जुडी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं, शनि कमजोर हो तो व्यक्ति को कम उम्र से ही जॉइंट्स पेन की समस्या शुरू हो जाती है साथ ही दांतों से जुडी समस्याएं भी उन्ही लोगों को ज्यादा होती हैं जिनकी कुंडली में शनि बहुत पीड़ित या कमजोर हो तो हमारी कुंडली में शनि का अच्छी स्थति में होना स्वास्थ के नजरिये से भी बहुत महत्वपूर्ण है।
शनि की साढ़ेसाती तो सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला विषय है पर साढ़ेसाती के दौरान हमारे जीवन में जो संघर्ष आता है उसका गूढ़ कारण ये है के साढ़ेसाती के दौरान शनि हमें संघर्ष की अग्नि में तपाकर हमारे पूर्व अशुभ कर्मों के बोझ को हमारे प्रारब्ध से हटा देते हैं। हमारे अहंकार को नष्ट करके हमें एक प्रकार से नया जीवन देते हैं और इसलिए शनि की साढ़ेसाती का भी हमें जीवन में बहुत ही गूढ़ महत्त्व है।
अगर किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की कोई भी दशा चल रही है, तो सबसे पहले अपने पैरों को साफ़ रखना शुरू कर दे, यह अति आवश्यक है, उन्हें साबुन से अच्छी तरह धोये, दिन में एक बारी अवश्य ही नहाना चाहिए और गर्मियों में कम से कम दो बार स्नान करें, दाड़ी और बाल समय से कटवा लेने चाहिए, और हमेशा साफ़ सुथरे रहने का प्रयास करें, शनि की किसी भी दशा में चन्दन का इत्र लगाकर रखे, और अपने आस पास भी चन्दन की खुशबू प्रयोग में लाना शुरू कर दे। अगर आप मोज़े/जुराबे पहनते हो तो हमेशा रोज़ बदलें। शनि की दशा में आपको गन्दा रहने, न नहाने, आलस्य के कारण बढ़े हुए बाल रखने की आदत पड़ जाती है, तो शनि के कारण होने वाले बुरे प्रभावों से बचने के लिए नीचे दिए सब उपाय करे और हमेशा साफ सुथरे रहें।
शनि को यह पसंद नहीं
शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना। शनि के मूल मंदिर जाने से पूर्व उक्त बातों पर प्रतिबंध लगाएं।
शुभ शनि की निशानी
शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। बाल और नाखून मजबूत होते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता हैं।
अशुभ शनि की निशानी
शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी।
सावधानी
कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें।
जिनकी जन्मकुण्डली में शनि पहले, चौथे, सातवें अथवा दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होता है। उनकी कुण्डली में पंच महापुरूष योग में शामिल एक शुभ योग बनता है। इस योग को शश योग के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। शनि अगर तुला राशि में भी बैठा हो तब भी यह शुभ योग अपना फल देता है। इसका कारण यह है कि शनि इस राशि में उच्च का होता है।
माना जाता है कि जिनकी कुण्डली में यह योग मौजूद होता है वह व्यक्ति गरीब परिवार में भी जन्म लेकर भी एक दिन धनवान बन जाता है। मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है।
अगर आपकी कुण्डली में शनि का यह योग नहीं बन रहा है तो कोई बात नहीं। आपका जन्म तुला या वृश्चिक लग्न में हुआ है और शनि कुण्डली में मजबूत स्थिति में है तब आप भूमि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गुरू की राशि धनु अथवा मीन में शनि पहले घर में बैठे हों तो व्यक्ति धनवान होता है।
उपाय:
सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें (ॐ भैरवाय नम:)। शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। छायादान करें- अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापों की क्षमा मांगते हुए रख आएं। दांत साफ रखें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर हो या शनि की दशा या साढ़ेसाती के दौरान जीवन में बहुत ज्यादा बाधाएं आ रही हों तो ये कुछ सरल उपाय आपके लिए बहुत लाभकारी होंगे।
अगर आप ज्योतिषाचार्य गायत्री शर्मा से संपर्क करना चाहते हैं…
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