कांग्रेस हमेशा से ही हिंदू आस्था को ठेस पहुंचाती आई है। भगवान राम को काल्पनिक बताना। सदन में राहुल गांधी द्वारा हिंदुओं को हिंसक कहना। खुद के हिंदुत्व को भाजपा के हिंदुत्व से अलग बताना जैसे कई बयान हैं जो कांग्रेस की मानसिकता जाहिर करते हैं। अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हिंदुओं द्वारा सबसे ज्यादा पवित्र माने जाने वाले गंगा स्नान पर भी सवाल उठा दिए हैं।
महाकुंभ में जाकर संगम में स्नान कर रहे भाजपा नेताओं पर तंज कसते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बयान दिया है”गंगा में डुबकी लगाने के लिए भाजपा नेताओं में होड़ मची है। गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होगी। क्या गंगा में डुबकी लगाने से खाना मिलता है। क्या इससे युवाओं को रोजगार मिल रहा है।” उनका यह बयान सीधे तौर पर हिंदू आस्था पर प्रहार नहीं तो और क्या है? महाकुंभ को लेकर पहले भी विपक्ष द्वारा अनाप—शनाप खर्च किए जाने का आरोप लगाकर राजनीति करने की कोशिश की गई, लेकिन सीधे तौर पर संगम स्नान पर सवाल उठाना स्पष्ट रूप से कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रतीक है।
मल्लिकार्जुन खड़गे कहते हैं कि गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होगी तो वह बताएं कि क्या जब टोपी पहनकर राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेसी नेता इफ्तार की दावतों में जाते हैं उससे गरीबी दूर होगी या फिर सिर पर टोकरी लेकर दरगाह पर जाकर चादर चढ़ाने से गरीबी दूर होगी? जिस तरह कांग्रेसी नेता आए दिन हिंदू आस्था पर प्रहार करते हैं क्या वह किसी अन्य मजहब और पंथ के लिए ऐसा बोल सकते हैं? नहीं, वह ऐसा कतई नहीं बोल सकते, क्योंकि वह जानते हैं कि हिंदू समाज सहिष्णु है।
रही बात महाकुंभ में जाकर डुबकी लगाने की। क्या देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने कुंभ में डुबकी नहीं लगाई थी? 1954 में उन्होंने कुंभ में स्नान किया था। डुबकी भी लगाई थी। भारत की प्रधानमंत्री रहीं राहुल की दादी इंदिरा गांधी भी कुंभ गई थीं। उन्होंने भी कुंभ में जाकर डुबकी लगाई थी। कांग्रेस के अन्य नेता भी कुंभ में जाते रहे हैं। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ राजनीति के चलते गंगा स्नान पर सवाल उठाना ओछापन नहीं तो और क्या है?
जब कांग्रेस सत्ता में रहती है तो सब ठीक रहता है लेकिन पिछले दस सालों से कांग्रेस सत्ता से बाहर है तो उसके नेताओं की बौखलाहट साफ नजर आ रही है। जब वोट मांगने होते हैं तो कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी मंदिरों में माथा टेकने जाने लगते हैं। खुद को जनेऊधारी ब्राह्मण बताने लगते हैं। जब चुनाव खत्म हो जाता है तो फिर से हिंदू समाज को कोसने लगते हैं।
इस बात को ज्यादा दिन नहीं हुए हैं जब राहुल गांधी ने सदन में भगवान शंकर की तस्वीर लहराकर हिंदुओं को हिंसक बताया था। कांग्रेस ने सदैव अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए हिंदू समाज को बदनाम किया है। 2006 में कांग्रेस ने ‘भगवा आतंकवाद’ और ‘हिंदू आतंकवाद’ जैसे शब्दों को गढ़ कर अपने वोट बैंक को खुश किया था।
साल 2023 में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने ‘जय गंगा मैया-जय नर्मदा मैया’ का नारा लगाने को डूब मरने वाली बात कहा था। भारत के चंद्रयान मिशन के दौरान चंद्रयान चंद्रमा पर जिस स्थान पर उतरेगा उस स्थान का नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिव-शक्ति रखने की घोषणा की थी। ऐसा हुआ भी। लेकिन चंद्रमा के इस बिंदु का नाम शिव-शक्ति रखे जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने आपत्ति जताई थी। तब उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी पूरे चाँद के मालिक नहीं हैं। वह इसका नाम शिव-शक्ति कैसे रख सकते हैं?
अब कांग्रेस फिर से गरीबी हटाने का राग अलाप रही है। आजादी के बाद दशकों तक देश में शासन करने वाली कांग्रेस ने गरीबी क्यों नहीं हटा दी? 1971 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने नारा दिया था ‘गरीबी हटाओ देश बचाओ’। इस नारे की बदौलत वह सत्ता पाने में कामयाब भी रही थीं। लोगों को लगा कि वास्तव में इस बार सरकार उनकी गरीबी को हटा देगी। इस नारे का प्रयोग उनके बेटे राजीव गांधी ने भी बाद में किया पर क्या गरीबी हटी?
कांग्रेस बताए कि उसने गरीबी हटाने के लिए आज तक क्या—क्या कदम उठाए? कांग्रेस ने हमेशा से सिर्फ और सिर्फ राजनीति ही की। हिंदुओं को जाति में बांटने की राजनीति और मुस्लिम तुष्टीकरण करना कांग्रेस का पसंदीदा शगल रहा है। रॉ के पूर्व विशेष निदेशक रहे अमर भूषण की एक पुस्तक है ‘इनसाइड नेपाल’। इस पुस्तक में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि नेपाल के हिंदू राष्ट्र को राजीव गांधी ने ही नष्ट किया था। उनके चलते ही नेपाल के हिंदू शाही परिवार को उखाड़कर वामपंथियों और चीन समर्थकों के लिए सत्ता पाने का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
अब राहुल गांधी संविधान बचाने की बात करते हैं। वह जातिगत जनगणना कराए जाने की बात सिर्फ और सिर्फ इसलिए करते हैं ताकि हिंदू समाज को जातियों में बांटकर अपने वोट बैंक को बढ़ाया जा सके।
ऐसे ढेरों उदाहरण और भी हैं जो कांग्रेस की हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रतीक हैं। उदाहरण के तौर पर कांग्रेस शासित राज्यों में ओबीसी वर्ग के कोटे में सेंध लगाकर मुस्लिमों को देना। राहुल गांधी का खुद के हिंदुत्व को भाजपा और आरएसएस के हिंदुत्व से अलग बताना। बार—बार वीर सावरकर का अपमान करना, और भी न जाने कितनी ही बार कांग्रेस नेता हिंदू समाज की आस्था को ठेस पहुंचाने वाला बयान देते रहे हैं।
कांग्रेस पहले से कई राज्यों में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों के भरोसे चुनाव लड़ती है। कहीं ऐसा न हो कि उसके वरिष्ठ नेताओं के इस तरह के ऊल-जलूल बयानों के चलते पहले से ही सत्ता के हाशिये पर स्थित कांग्रेस गर्त में ही ना चली जाए और भाजपा नेताओं द्वारा कही गई कांग्रेस मुक्त भारत वाली बात वास्तव में ही सच हो जाए।