नई दिल्ली। पिछले दशक में एक डॉक्युमेंट्री पूरी दुनिया बहुत प्रसिद्ध हुई थी, जो बाद में एक पुस्तक के रूप में भी आई थी और कदाचित आज भी लोगों में यथावत प्रचलित है। बहुत से लोग आज भी उससे प्रभावित हैं और हमेशा बातें करते रहते हैं। उस डॉक्युमेंट्री और पुस्तक का नाम था ‘द सीक्रेट लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन”। उस डॉक्युमेंट्री की एक पंक्ति (मात्र 3 शब्द) हमेशा मेरे मस्तिष्क में घूमती रहती है, और वह पंक्ति है ‘विचार बनाए जिन्दगी’। ये सच है जैसे हमारे विचार होंगे वैसा ही हमारा व्यक्तित्व और जीवन हो जाएगा। हमारे विचार और फिर उन पर आधारित हमारा आचरण ही हमें दुनिया की दृष्टि में संस्कारी या फिर कुसंस्कारी बनाता है। आज ट्वीट की गति से चलने वाली दुनिया में सब कुछ पिछड़ता जा रहा है। गति इतनी तेज हो गयी है कि लोग अपने माता-पिता को भी पीछे (वृद्धाश्रमों में) छोड़ने लगे हैं। किसी के पास चैन से बैठने का समय ही नही बचा है और मान लीजिये थोड़ी देर के लिए बैठ भी जाते हैं तो मोबाइल फोन, रील्स, विडियो आदि ऐसा होने नही देते हैं।
विडंबना देखिये आज माँ की ममता और वात्सल्य की जगह यूट्यूब ने ले ली है। बच्चा रोने लगता है और माँ यूट्यूब चला देती है। भोजन यूट्यूब बनवा रहा रहा है। लोगों के सोचने की क्षमता धीरे-धीरे धीरे समाप्त होती जा रही है। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस टूल्स ने तो और आग लगाकर रखी हुई है। कुल मिलाकर “जो विचार जिंदगी बनाते है” वो या तो दूषित हो चुके हैं या फिर खंडित हो चुके हैं या फिर उनकी इन्टरनेट के अतिउपयोग के कारण भ्रूण हत्या हो रही है। ऐसे में प्रश्न उठता है अब वे विचार कहाँ मिलेंगे? और अब तो दुनिया को उन विचारों के महत्व के बारे में भी बताना होगा। क्योंकि दुनिया में शांति, धैर्य, प्रसन्नता, सामंजस्य, विनम्रता और सुख का आभाव बढ़ता जा रहा है। जहाँ देखो वहाँ भागदौड, जहाँ देखो वहाँ लम्बी लाइन लगी हुई है। जीवन की इसी भागदौड़ में पूर्वजन्म के अच्छे कर्मों के फलस्वरूप मुझे एक अद्भुत पुस्तक पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिसमें उक्त जो भी संकेत मैंने किया है उसका समाधान दिया गया है। इस अप्रतिम पुस्तक में मानवीय जीवन का शायद ही ऐसा कोई पहलु हो जिसे छुआ न गया हो। और विशेष बात यह है कि हर चीज का सुंदर सरल और प्रमाणिक समाधान दिया गया है। पूरे विश्व की और विशेष रूप से भारत देश और भारतीयों को सुखी, समृद्ध, प्रसन्न, जीवन जीने का सरल उपाय बताया गया है। उपाय भी ऐसा जिसे जैसे ही लागू किया जायेगा तुरंत प्रभाव डालेगा। इस अद्भुत पुस्तक का विमोचन कुछ दिन पहले दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री संग्रहालय में देश के माननीय रक्षामंत्री जी राजनाथ सिंह, संन्यास परंपरा में ख्यातिप्राप्त जूना अखाड़ा पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जी महाराज और देश के वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक, विचारक श्री राम बहादुर राय जी ने किया है।
पुस्तक का प्रकाशन देश के सुप्रसिद्ध प्रकाशन प्रभात प्रकाशन ने किया है। अपने अंदर गागर में महासागर छिपाये हुए इस पुस्तक में मात्र 350 पृष्ठ हैं। और अब बारी आती है इस महान पुस्तक के नाम बताने की; इस अद्भुत पुस्तक का नाम है “मैं रामवंशी हूँ” और इस आधुनिक ग्रन्थ के लेखक का नाम है श्री मनोज सिंह जी। हो सकता है आपको मेरी इस समीक्षा में आदर सम्मान भरपूर दिखेगा जो आमतौर समीक्षा में नही दिखता है या फिर दिखाया नही जाता है। लेकिन, मैं यहाँ ऐसा करने के लिए विवश हूँ। ऐसी अद्भुत रचना बहुत वर्षों की साधना और तपस्या के बाद ही लिखी जाती हैं। किसी साधारण व्यक्ति के वश का ये काम ही नही नही है। और न ही ये इन्टरनेट से कॉपी पेस्ट का काम है। भगवान राम के जीवन को आधार बनाते हुए मनुष्य जीवन का हर पहलु और हर विषय समझाने का एक अद्भुत उद्यम किया गया है। हजारों प्रमाणिक संदर्भ दिए गए हैं। कोई भी बात कपोल कल्पना नही है, बल्कि प्रमाणिक संदर्भ के साथ दी गयी है। ये पुस्तक पढ़ते समय मुझे अपनी उन गलतियों के बारे में पता चला जो मैं शायद बचपन से करता आ रहा था, इसके साथ ही उन गलतियों का समाधान भी मिला। जीवन में एक ठहराव जैसा आया है और साथ ही भविष्य की योज्नानाओं को सही तरीके से लक्ष्य तक पहुंचाने का मार्ग भी मिलने लगा है। क्योंकि जितना इस पुस्तक की शिक्षाओं को लागू किया जाएगा उतना ही लाभ होता जाएगा। यह पुस्तक जिसे स्वामी अवधेशानंद जी महाराज ने ‘ग्रन्थ’ की संज्ञा दी है वाल्मीकि रामायण या फिर फिर रामचरितमानस की तरह 7 कांडों में लिखी गयी है। प्रत्येक कांड में की सारे सर्ग दिए गये हैं। जहाँ मूल रामायण वेदों, उपनिषदों, पुराणों और दूसरे शास्त्रों के संदर्भों के साथ आगे बढती हैं, वहीं एक आधुनिक रामायण भी साथ-साथ चल रही है। इस पुस्तक की शैली कथारूप में है जो पाठकों को बहुत पसंद आएगी। पुस्तक की विषयवस्तु कथा और संवाद रूप में लिखी गयी है और इतनी प्रभावी है कि क्या कहने। इसकी प्रशंसा में मैं पहले ही संकेत कर चुका हूँ। आज की दुनिया में अंग्रेजी भाषा के ‘One liner’ वाक्यों जिन्हें कोटेशंस भी कहते हैं, का बड़ा प्रभाव माना जाता है। इस पुस्तक में आपको हजारों ऐसे ‘One liner’ मिलेंगे जिनमें जीवन को सकारात्मक तरीकें से और दिशा में बदलने की शक्ति है। प्रत्येक माता-पिता अपने बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के लिए जो कुछ भी चाहतें हैं उसका विस्तार से सप्रमाण वर्णन किया गया है। इस पुस्तक का मुख्य पात्र ‘रामवंशी’ ऐसे ही माता पिता की संतान है। रामवंशी एक ऐसा पुत्र है जिसे आज हर माता-पिता पाना चाहता है। रामवंशी का परिवार एक ऐसा परिवार है जिसकी कल्पना आज सब करते हैं, लेकिन, अधूरे चिंतन या जानकारी के आभाव में कल्पना वास्तविकता में नहीं बदल पाती है। रामवंशी के आदर्श भगवान राम है, जिसकी नीव रामवंशी के जन्म से पहले ही गर्भधारण करने से पहले ही उसके माता-पिता ने डाल दी थी। समीक्षा लम्बी न हो इसलिए मैं अब बिन्दुबार लिखा रहा हूँ कि पाठक को इस अद्भुत पुस्तक में क्या-क्या मिल सकता है: त्रेतायुग की प्रमाणिक कथा मिलेगी। जो द्वापर और कलियुग को दिशा देगी। मनुष्य जीवन में विलुप्त हो रहे संस्कारों की प्रमाणिक और विस्तृत जानकारी मिलेगी, जो जीवन को सही दिशा देगी। इसमें आपको समाज शास्त्र, भूगोल, इतिहास, खगोल शास्त्र, न्याय व नीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, रसायन शास्त्र, आयुर्वेद, वनस्पति
शास्त्र, युद्धनीति, शास्त्र विद्या, वेद, उपनिषद का चिंतन, अध्यात्म व दर्शनशास्त्र के साथ साथ संस्कार शास्त्र का ज्ञान भी मिलेगा। इस पुस्तक के माध्यम से पाठक जान पाएंगे कि समाज को सभ्य बनाने में संस्कृति व संस्कारों की क्या भूमिका हो सकती है? ये पुस्तक आपको बताएगी जीवन मूल्य और नैतिक मूल्य का अंतर और उद्देश्य क्या है? ये पुस्तक आपको बताएगी कि हरित क्रांति, दुग्ध क्रान्ति, सूचना क्रांति के बाद अब विश्व के ‘संस्कार क्रांति’ की आवश्यकता क्यों है? ये पुस्तक आपको कूटिनीति का सदुपयोग करना भी सिखाएगी और माध्यम भगवान राम हैं. पाठक इस पुस्तक से जान पायेगा कि क्यों श्रीराम आज तक सबके मन पर राज करते हैं, आखिर उनमें ऐसा क्या था? वास्तव में श्रीराम का व्यक्तित्व कैसा था (जिसे आज कदाचित लोग नहीं जानते हैं या फिर बहुत कम जानते हैं), उस व्यक्तित्व को ये पुस्तक सप्रमाण प्रस्तुत करती है। उसी व्यक्तित्व को हमें अपनी आने वाली पीढ़ी में बताना है और उनका व्यक्तित्व उसी तरह का निर्मित करना है। रामयण के सभी कांडों का क्या महत्व है, ये भी आप इस पुस्तक से जानेंगे। इस पुस्तक में आपको दुनिया भर में प्रचलित विविध रामयणों के दर्शन भी होंगे। शायद ही ऐसी कोई रामायण जिसका सन्दर्भ आपको नहीं मिलेगा। अर्थात रामायण की व्यापकता आपको सरल शब्दों में इस पुस्तक में मिलेगी। ये पुस्तक आपको बताएगी कि रामायण इतिहास होते हुए भी भविष्य की आवश्यकता क्यों है?
ये पुस्तक आपको राम नाम के प्रभाव के बारे में बताएगी और आपको स्पष्ट हो जाएगा कि आज भी सनातन धर्म के अनुयायी के लिए अंतिम शब्द ‘राम नाम सत्य है’ क्यों कहे जाते हैं? भगवान राम से जुड़े मिथकों का निवारण इस पुस्तक में प्रमाण सहित किया गया है जो कुछ लोगों को कड़वे भी लग सकते हैं। उनके लिए मेरा सुझाव केवल रामायण अध्ययन पूरा और दिमाग खोलकर करना आवश्यक है। आजकल पूरे देश में एक चर्चा चल रही है कि देश का नाम भारत क्यों पड़ा? इस प्रश्न का उत्तर ये पुस्तक पृष्ठ संख्या 91 पर सप्रमाण देगी। पाठक इस पुस्तक से जानेंगे कि भगवान राम के मन में मातृभूमि के प्रति कैसा संस्कार भाव था? आज मातृभूमि केवल भाषणों में गूंजने वाला शब्द मात्र रह गया है। इस पुस्तक में आपको ‘इतिहास में भूगोल’ मिलेगा। नव दम्पतियों के लिए ये पुस्तक अपरिहार्य है। इसकी विषयवस्तु उनके दाम्पत्य जीवन, पारिवारिक जीवन को खुशहाल बनाने की क्षमता रखती है। आजकल पेरेंटिंग को लेकर बहुत बातें होती है, सेमिनार होते हैं, कार्यशालायें होती है, लेकिन प्रभाव कितना होता है हम सभी जानते हैं। इस पुस्तक में माता-पिता को अपने बच्चों का पालन-पोषण कैसे और किस भाव से करना है, ये भी सप्रमाण और प्रभावी तरीके से बताया गया है। आपको ये पुस्तक बताएगी कि मनुष्य जीवन में विवाह का वास्तविक उद्देश्य और महत्व क्या है? और वह पढ़ने के बाद आप समझ पाएंगे कि आज के समय में वैवाहिक संबंधों को लेकर आये दिन मिलने वाले उटपटांग समाचारों के मूल में क्या समस्या है? आखिर आज का युवा या माता-पिता कहाँ गलती कर रहे हैं? साथ ही आप जानेगें कि विवाह और वैवाहिक जीवन में परिवार की वास्तविक भूमिका क्या है? पुस्तक बताएगी आदर्श पति, आदर्श पत्नी, आदर्श भाई, आदर्श पिता और आदर्श परिवार बनने या बनाने के लिए आज समाज को क्या चाहिए? सोशल मीडिया के युग में आजकल लोग घूमने फिरने का बहुत शौक रखते हैं और वीडियो, फोटो, रील्स बनाते हैं। सरकारें भी पर्यटन को खूब बढ़ावा देती है जो अच्छी बात भी है। लेकिन, हमारी परंपरा में पर्यटन के साथ साथ तीर्थाटन का भी विशेष महत्व है। यह पुस्तक आपको बताएगी पर्यटन और तीर्थाटन में क्या अंतर है? कैसे आप संस्कारी भाव में रहते हुए पर्यटन और तीर्थाटन दोनों कर सकते हैं? वर्तमान राजनेताओं, मीडिया, शिक्षा जगत के विद्वानों, लेखकों, व्यवसायियों किसानों, मजदूरों, बच्चों, अभिभावकों सहित समाज के प्रत्येक घटक के लिए यह पुस्तक अपने भीतर बहुत कुछ समाहित करके रखी हुई है। अभी भी बहुत कुछ लिख सकता हूँ लेकिन, समीक्षा लम्बी हो जाएगी। लेखक श्री मनोज सिंह की ये ‘गागर में महासागर’ भरने वाली उत्कृष्ट रचना समाज के प्रत्येक वर्ग को पढ़ना चाहिए, इससे जीवन राममय हो अर्थात खुशहाल हो जाएगा। आजकल के असंख्य रावणों, मन्थराओं, शूर्पणखाओं और उनके अंसख्य राक्षसी स्वरूपों का अंत करने लिए हमें राम के मार्ग पर चलने वाला रामवंशी बनना ही होगा, इसके अलावा और कोई मार्ग नहीं है। और रामवंशी वो है जो श्रीराम के मार्ग पर चलता है अर्थात शास्त्र और शस्त्र का समन्वय करते हुए कर्म करता है। आधुनिक रामवंशी और उसके परिवार की कथा पाठकों को भावुक सकती है यह लिखना आवश्यक है। लेकिन, ये भी सच है कि रामवंशी नाम ही उस व्यक्ति का है जो हर भावना को पार करते हुए धर्म मार्ग पर चलता है। अंत में इस पुस्तक से एक सन्देश देते हुए मैं ये समीक्षा समाप्त करता हूँ – “श्रीराम ने न तो धर्म को छोड़ा और न ही किसी अधर्मी को छोड़ा”