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प्रशांत किशोर का ‘पिता’ नीतीश कुमार पर वार, गिनाई नाकामियां ; लेकिन क्या उनके पास है विकास का मंत्र ?

जनता दल (यूनाईटेड) से निकाले गए नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज पटना में एक प्रेस वार्ता कर अपने ‘पिता’ एवं जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को कोसा, खरी-खोटी सुनाई। बिहार के पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने नीतीश से अपने मतभेद के कारण बताये, साथ ही यह भी कहा वो उनके पितातुल्य हैं और उनके हर फैसले का स्वागत करते हैं। लेकिन अगले ही पल जेडीयू सरकार की कमियों की फेहरिस्त गिनाना शुरु कर दिया। नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर ‘गुजरात वाला’ कहकर कटाक्ष किया।

नीतीश मेरे पितातुल्य, उनके खिलाफ टीका-टिप्पणी नहीं

जदयू के पूर्व उपाध्याक्ष प्रशांत किशोर ने प्रेस कांफ्रेस में बताया कि नीतिश जी से मेरा संबंध विशुद्ध राजनीतिक नहीं है। नीतिश ने हमेशा मुझे बेटे की तरह रखा, मैनें भी उन्हें हमेशा पितातुल्य समझा… उन्होंने कहा कि नीतीश ने जो भी फैसला किया, मैं उसे सह्रदय स्वीकार करता हूं। मैंने कोई टीका-टिप्पणी नहीं की और आगे भी नहीं करुंगा। मैं उनका सम्मान करता हूं और आगे भी करता रहूंगा।

‘2020 के नीतीश नहीं पसंद’

प्रशांत किशोर ने कई मुद्दों पर नीतीश सरकार को आड़े हाथों लिया और कई मुद्दों पर घेरा। उन्होंने कहा कि 2020 के नीतीश कुमार में वो दम और साहस नहीं जो 2014 में था। पार्टी की कोई स्वतंत्र विचारधारा नहीं रह गई है और वह चुनावी फायदे के लिए समझौता करने से गुरेज़ नहीं कर रही। आज 16 सांसद होने के बावजूद नीतीश का राजनीतिक औहदा 2014 से कम है, जब पार्टी के मात्र 2 सांसद थे।

नीतीश पर सवालों की फेहरिस्त लेकिन क्या अपना दामन बेदाग ?

उन्होंने बिहार के विकास, शिक्षा, रोज़गार और प्रति व्यक्ति आय जैसे मुद्दों पर कमियों की फेहरिस्त गिनाई लेकिन ये गिनाना क्यों भूल गये कि पिछले 5 सालों में उन्होंने क्या किया। आपको बता दें… कि 2015 में प्रशांत किशोर को नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था, विकास की नीतियां बनाने और उसके क्रियान्वन पर उनकी खास नज़र थी। उनके कहने पर ही बिहार विकास मिशन की शुरुआत की गई थी, लेकिन क्या यह केवल कागज़ का टुकड़ा ही बनकर रह गया।

दो साल पहले उन्हें पार्टी में नंबर दो बनाया गया। सरकार और पार्टी दोनों में गतिरोध के बावजूद महत्वपूर्ण पद मिला, लेकिन क्या वो इसे भुनाने से चूक गये? उनका कहना है कि विकास के मानकों पर बिहार कभी खरा नहीं उतरा। पहले भी बिहार देशभर में 22वें नंबर पर था, आज भी वही हालात है।

‘महात्मा और गोडसे एक साथ संभव नहीं’

पार्टी से राह अलग करने का मुख्य कारण बताते हुए किशोर ने कहा कि नीतीश को साफ करना होगा कि वो महात्मा के साथ हैं या फिर गोडसे के साथ क्योंकि उनका गठबंधन ऐसी पार्टी से है जो गोडसे का गुणगान करते हैं। हालांकि नागरिकता संशोधन कानून पर कुछ भी बोलने से वो बचते दिखे। गौरतलब है कि CAA कानून के खिलाफ ही उन्होंने नीतीश के खिलाफ मोर्चा खोला था।

क्या यह है किशोर का राजनीतिक अवसरवाद ?

प्रशांत किशोर की प्रेस वार्ता के बाद जदयू से पलटवार ही नहीं, बल्कि भाजपा का हमला भी जारी है। जहां जदयू ने उनपर फेसबुक, ट्वीटर पर राजनीति चमकाने का आरोप लगाया तो बिहार भाजपा ने किशोर पर जनता को ठगने और इवेंट मैनेजमेंट के बहाने पैसे बनाने का आरोप लगाया है।

गौरतलब है कि प्रशांत किशोर 2012 में गुजरात चुनाव, 2014 में मोदी के कैंपन का महत्वपूर्ण हिस्सा रह चुके हैं, बल्कि कितने ही जीत का सेहरा उनके सर ही मढ़ते हैं। इसके बाद 2018 में वे जदयू पार्टी के वाईस प्रेसिडेंट बने, गौर करने वाली बात है कि भाजपा भी बिहार सरकार में शामिल है.. क्या उस वक्त उन्हें गोडसे की राजनीति से आपत्ति नहीं हुई ?

प्रशांत किशोर ने बिहार के पिछड़ेपन पर भी नीतीश सरकार पर खुलकर निशाना साधा था। मीडिया को बताया कि 15 साल पहले भी बिहार देशभर में 22वें स्थान पर, आज भी वहीं पर है। क्या वो इसमें अपनी भूमिका बताना भूल गये? पिछले पांच सालों में बिहार विकास मिशन के तहत उनकी क्या उपलब्धियां रहीं ?

‘इवेंट मैनेजमेंट वालों की कोई विचाराधारा नहीं’

बिहार भाजपा के नेता सुशील मोदी भी किशोर पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि इवेंट मैनेजमेंट वालों की अपनी कोई विचारधार नहीं होती। वे प्रायोजकों की विचारधारा और भाषा को अपनाने में माहिर होते हैं, उनका मुख्य मकसद होता है – पैसे बटोरना। आज किशोर भी यही काम कर रहे हैं… जनता को ठगने के लिए नया ठेका लगा दिया है।

सुशील मोदी ने कहा कि जो व्यक्ति 2014 में नरेंद्र मोदी की जीत के लिए अपना डंका पीट चुका है, आज चुनाव से चंद महीनों पहले उसे भाजपा गोडसेवादी लगने लगे। नीतिश पिछले ढ़ाई साल से भाजपा के साथ हैं… आज से पहले उनकी आंखें नहीं खुली क्या?

क्या किशोर के पास है विकास का मंत्र ?

प्रशांत किशोर ने आज युवा राजनीति की बात करते हुए लाखों युवाओं को अपने ‘बात बिहार की’ अभियान से जोड़ने की बात की। बिहार की प्रतिभा और गौरव की दुहाई देते हुए उन्होंने एक नए सपने की बात की।

20 फरवरी से वो इस अभियान की शुरुआत करने जा रहे हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या उनके पास बिहार के कायाकल्प के लिए कोई रोडमैप है, कोई ब्लूप्रींट है….. कैसे वो बिहार को टॉप 10 राज्यों में शामिल करेंगे ?

चुनावी रणनीति में किशोर अपना सिक्का जमा चुके हैं लेकिन ग्रासरुट राजनीति में सुचिता बनाए रखना और Mr Clean को चुनौती देना आसान नहीं होगा।

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