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Punjab Congress crisis: पंजाब कांग्रेस में पहले घमासान, अब महासंकट: राहुल और प्रियंका गांधी के नेतृत्व में नहीं है दम!

नई दिल्ली। पंजाब कांग्रेस में सियासी संकट लगातार गहराता जा रहा है। पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पूर्व जिस तरह कांग्रेस में इस्तीफे का सिलसिला शुरू हुआ है, उससे पार्टी में लगातार बवाल मचाता दिख रहा है। सिर्फ 72 दिन के अंदर नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा देना कांग्रेस के लिए किसी झटके से कम नहीं है। सिद्धू ने जैसे ही इस्तीफा दिया है, उसके कुछ देर बाद ही कांग्रेस के कोषाध्यक्ष गुलजार सिंह चहल के इस्तीफा देने की खबर सामने आई। वहीं, चहल के इस्तीफा देने के कुछ देर बाद ही चन्नी कैबिनेट में मंत्री रजिया सुल्तान ने भी कांग्रेस आलाकमान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। जिस तरह महज एक दिन में कांग्रेस के तीन अहम विकेट गिर गए, उसने कांग्रेसियों के सदमे में डाल  दिया है। चुनाव से पूर्व कांग्रेस में मचा घमासान पार्टी के लिए मुश्किलें बढ़ता जा रहा है। हालांकि सिर्फ पंजाब ही नहीं बल्कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ में भी पार्टी के अंदर लगातार बवाल मचा हुआ है।

इससे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस की बागडोर मजबूत हाथों में नहीं है, क्या पार्टी में राहुल और प्रियंका का बढ़ता कद प्रगति की बजाये घातक साबित हो रहा है और क्या गांधी बंधु कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व देने में अक्षम हैं? क्योंकि पिछले कुछ चुनावों से यही आलम दिख रहा है। राहुल और प्रियंका के नेतृत्व में लगातार पार्टी का आधार और दिशा दोनों ही कमज़ोर होती दिख रही है।

पंजाब की घटना ने एक बार फिर से इस तथ्य पर मुहर लगा दी है कि प्रियंका गांधी भी अपने भाई राहुल गांधी के ही नक्शे कदम पर हैं। वे राहुल गांधी की तरह ही राजनीति में बुरी तरह नौसिखिया और बचकानी नेता साबित होती जा रही हैं। सिद्धू उनके ही हनुमान हैं, जिन्होंने पंजाब कांग्रेस की लंका में आग लगा दी है।

राहुल और प्रियंका गांधी पूरी तरह से देश विरोधी टुकड़े-टुकड़े गैंग के कब्जे में हैं। इसी गैंग के इशारे पर कांग्रेस में बचे हुए राष्ट्रवादी तत्वों को एक के बाद एक बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी इसी गैंग ने निपटा दिया, जबकि बाजवा को गले लगाने वाले सिद्धू को ईनाम में अध्यक्ष की कुर्सी से नवाजा गया।

प्रियंका गांधी राजनीतिक समझ में रामदास अठावले से भी गई गुजरी नेता साबित हो रही हैं। वे जहां-जहां हाथ डाल रही हैं, वहीं-वहीं बंटाधार हो रहा है। उनकी अगुवाई में यूपी में बची खुची कांग्रेस भी खत्म होने की कगार पर है। हाल ही में पंडित कमलापति त्रिपाठी के खानदान के कद्दावर कांग्रेसी नेता ललितेश पति त्रिपाठी ने भी कांग्रेस छोड़ दी। भाई और बहन दोनों मिलकर कांग्रेस को प्राइवेट प्रापर्टी की तरह चला रहे हैं।

प्रियंका गांधी वर्तमान राजनीति की भस्मासुर बन चुकी हैं। वे जहां हाथ रखती हैं, वहीं कांग्रेस भस्म हो जाती है। हाल ही में उन्होंने असम में प्रचार का जिम्मा संभाला। नतीजे में कांग्रेस यहां जीता हुआ चुनाव हार गई। यूपी और पंजाब में वे पहले ही पार्टी का कचरा कर चुकी हैं।

सिद्धू के एपिसोड ने यह भी साफ कर दिया कि कांग्रेस का पंजाब में दलित सीएम का चारा जनता के साथ कितना बड़ा धोखा था। चन्नी को पंजाब में सिद्धू का मोहरा बनाकर लाया गया था। इस दलित मोहरे को विधानसभा चुनाव तक गद्दी संभालनी थी और जीतने की सूरत में उसे सिद्धू को हैंडओवर कर देनी थी। मगर चन्नी ने वादाखिलाफी कर दी और सिद्धू इसे बर्दाश्त नहीं कर सके। इस घटना ने एक बार ये साबित कर दिया कि कांग्रेस की नजर में दलित मोहरे से अधिक और कुछ नहीं।

पंजाब के एपिसोड ने एक बार फिर से ये साफ कर दिया कि राहुल गांधी कांग्रेस का अध्यक्ष बनने के लिए क्यों तैयार नही हैं। अध्यक्ष बनने की सूरत में एक के बाद दूसरी नाकामी का ठीकरा उन पर फूटेगा। राहुल गांधी केवल मेवा खाने के लिए राजनीति में आए हैं। उनके जीवन का बस दो ही मंत्र है। पहला, अपनी असफलताओं का ठीकरा आरएसएस पर फोड़ना और दूसरा इटली घूमना।

सोचिए, जिस आदमी से अपने खुद के राज्य नहीं संभल रहे हैं, वो देश का प्रधानमंत्री बनने के लिए  शेखचिल्ली के ख्वाब देख रहा है। पंजाब कांग्रेस का बंटाधार हो चुका है। राजस्थान में आग लगी हुई है। छत्तीसगढ़ में खुली तलवारें चल रही हैं। महाराष्ट्र में आपस के सहयोगियों के बीच ही जूतम पैजार हो रही है और ये आदमी एसी कमरे में बैठकर ट्विटर ट्विटर खेल रहा है।

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