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भिंडरावाला को पैदा करने वाली कांग्रेस का खालिस्तानी प्रेम फिर से उभर रहा है

सत्ता के लिए फिर कांग्रेस को चाहे जो करना पड़े, देश को अलगाववाद और आतंकवाद की तरफ धकेलना पड़े तो भी उसको कोई गुरेज नहीं।

कांग्रेस के चेहरे के पीछे जो असल चेहरा है, वह अक्सर दिखाई दे जाता है। अपनी सत्ता बनी रहे इसके लिए फिर चाहे जो करना पड़े। देश को अलगाववाद और आतंकवाद की तरफ धकेलना पड़े तो भी इससे कांग्रेस को कोई गुरेज नहीं है। देश को आपातकाल के अंधेरे में धकेलने वाली कांग्रेस दस सालों से सत्ता से बाहर है, जब भी बात आपातकाल की आती है कांग्रेस बौखला उठती है। आपातकाल के नाम पर कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में जालंधर से कांग्रेस के सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने संसद में खालिस्तानी अमृतपाल सिंह की वकालत की। निर्दलीय जीतकर आया अमृतपाल सिंह इस समय असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है। चन्नी ने उसकी वकालत करते हुए कहा कि 20 लाख लोगों के प्रतिनिधि को जेल में बंद रखना आपातकाल नहीं तो और क्या है ?

जाहिर है पंजाब को अलगाववाद की आग में झोंकने वाली कांग्रेस का असल चेहरा एक बार फिर से सामने आ चुका है। दरअसल अपना खिसकता जनाधार वापस पाने के लिए एक बार फिर कांग्रेस वही कर रही है जो 80 के दशक में इंदिरा गांधी ने किया था। पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भिंडरावाला को आगे बढ़ाकर खालिस्तानी सोच को बढ़ावा दिया। पूरे राज्य में खालिस्तानी आतंकवाद फैल गया। बाजी हाथ से निकलती देखकर ऑपरेशन ब्लूस्टार चलाकर भिंडरावाला समेत उसके समर्थकों को मार गिराया गया। इसका नतीजा यह हुआ कि तत्कालीन प्रधानमंत्री की उन्हीं के अंगरक्षकों ने हत्या कर दी। तब से लेकर आज तक पंजाब में खालिस्तानी सक्रिय हैं।

इंदिरा गांधी के हत्यारे बेअंत सिंह का बेटा सरबजीत सिंह खालसा फरीदकोट संसदीय सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर जीतकर सांसद बन चुका है। वहीं खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह भी पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट से निर्दलीय जीतकर सांसद बना है। खालिस्तानी सोच को बढ़ावा देने, आतंकियों से कनेक्शन रखने पर रासुका समेत संगीन धाराओं में वह वर्तमान में जेल में बंद है। चन्नी भाजपा को घेरने के लिए उसकी वकालत कर रहे हैं और तमाम नेता चुपचाप सुन रहे हैं। संसद में चन्नी के इन बोलों को लेकर भी कांग्रेस नेताओं ने इसका विरोध नहीं किया।

हालांकि बाद में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और कम्युनिकेशन इंचार्ज जयराम रमेश ने इसे उनका निजी बयान बताकर पल्ला झाड़ लिया, लेकिन क्या सिर्फ इस तरह के बयानों से पल्ला झाड़कर काम चल जाएगा ? चन्नी कांग्रेस के सांसद हैं, कांग्रेस के कोटे से उनको संसद में बोलने का समय मिला था। कांग्रेस अपने नेताओं के इस तरह के विवादित बयानों को उनका निजी बयान बनाकर हमेशा पल्ला झाड़ लेती है, लेकिन यदि विपक्ष का कोई मंडल स्तर का नेता भी इस तरह का कोई विवादित बयान दे दे तो कांग्रेस उसे तूल देने में कोई कसर नहीं छोड़ती।

कांग्रेस की यह सोच बताती है कि उसके मन में कहीं न कहीं खालिस्तानियों के लिए ‘सॉफ्ट कॉर्नर’ जरूर है। सत्ता के लिए कांग्रेस किसी भी हद तक जा सकती है। ऐसा पहली बार नहीं है जब कांग्रेस का खालिस्तानी प्रेम नजर आया हो इससे पहले भी कांग्रेस का खालिस्तानी प्रेम जगजाहिर हो चुका है। कथित ‘ किसान आंदोलन’ के दौरान भी कांग्रेस ने तनाव और खालिस्तानी भावनाओं को भड़काया था। असल खालिस्तानी चेहरा गणतंत्र दिवस पर तब खुलकर सामने आया जब खालिस्तानी समर्थक भीड़ ने किसानों के नाम पर लाल किले में घुसकर पंथिक झंडा फहराया दिया था।

चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा अमृतपाल सिंह के नाम पर संसद में भाजपा को घेरने का प्रयास करना और उसके वरिष्ठ नेताओं का इस पर चुप्पी साध लेना इशारा करता है कि कांग्रेस ने पंजाब में अपना जनाधार फिर से बढ़ाने और सत्ता पाने के लिए अलगाववाद को जारी रखने की कोई न कोई रणनीति जरूर बनाई है। कांग्रेस हर सूरत में सत्ता पाना चाहती है भले इसके लिए देश को और जनता को कोई भी कीमत चुकानी पड़े।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।

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