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बांग्लादेश में जो हुआ वैसा भारत में भी हो सकता है, कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयान कांग्रेस की अराजक मानसिकता को दर्शाते हैं

बांग्लादेश में जिस तरह की स्थिति है उस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा एक के बाद एक बेतुके बयान आखिर किसके इशारे पर दिए जा रहे हैं ?

बांग्लादेश में जो हो रहा है वह भारत में भी सकता है। कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद का इस तरह का बयान और फिर कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा की सीधे धमकी कि जनता अब उनके घरों में घुस जाएगी कांग्रेस की लोगों को भड़काने की साजिश नजर आती है। इसी तर्ज पर कांग्रेस के एक और वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने बयान दिया कि बांग्लादेश जैसी परिस्थितियां कुछ-कुछ भारत में भी बननी शुरू हो गई हैं और लोगों के मन में चुनावों की निष्पक्षता को लेकर शक पैदा होने लगा है। इस तरह के बयान देकर कांग्रेसी नेता हमेशा की तरह एक झूठा विमर्श खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी मंशा लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को गिराने की नजर आती है।

शिक्षाविद मुजीबुर रहमान की किताब ‘शिकवा-ए-हिंद: द पॉलिटिकल फ्यूचर ऑफ इंडियन मुस्लिम्स’ के विमोचन के अवसर पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद का बयान ” जो बांग्लादेश में हो रहा है वह भारत में भी हो सकता है।” यानी वह यह कहना चाहते हैं कि सड़क पर इकट्ठा होकर भीड़तंत्र द्वारा भारत में भी तख्तापलट किया सकता है? क्या यह लोगों को उकसाने वाला बयान नहीं है?

दरअसल खुर्शीद का यह बयान कांग्रेस की मानसिकता और मंशा को जाहिर करने वाला ही है। सलमान खुर्शीद की जबान पर यह बात ऐसे ही नहीं आ गई। इससे पहले जून में राहुल गांधी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि एनडीए सरकार की संख्या इतनी कम है कि थोड़ी सी गड़बड़ी भी सरकार को गिरा सकती है। आखिर राहुल किस तरह की गड़बड़ी की तरफ इशारा कर रहे थे। इन दोनों बयानों पर गौर किया जाए तो यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या कांग्रेस देश में लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने वाली परिस्थितियां पैदा करना चाहती है?

मध्यप्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सज्जन सिंह वर्मा जो पांच बार विधायक रह चुके हैं और एक बार सांसद, उन्होंने तो खुले तौर पर धमकाने वाले अंदाज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेते हुए स्पष्ट कहा कि जैसे बांग्लादेश की जनता प्रधानमंत्री आवास में घुस गई। ऐसे ही एक दिन जनता आपके घर में भी घुस जाएगी। क्या इस तरह के बयान जनता को भड़काने वाले नहीं हैं? क्या कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयान अराजकतावादी नहीं हैं?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद जो कांग्रेस सरकार के दौरान विदेश मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने सीएए और एनआरसी को लेकर शाहीन बाग में हुए देश विरोधी प्रदर्शन को आंदोलन बताया और कहा कि शाहीन बाग से जुड़े लोगों को देश का दुश्मन करार दिया जा रहा है। कईयों को जमानत नहीं मिल पा रही है। उनका यह बयान स्पष्ट तौर पर भड़काने वाला है। जबकि पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हो चुका है कि शाहीन बाग आंदोलन को पीएफआई जैसे आतंकी संगठनों और देशविरोधी ताकतों द्वारा फंडिंग की जा रही थी। यही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने भी शाहीन बाग में प्रदर्शन को लेकर टिप्पणी भी की थी। न्यायालय ने कहा था कि ” प्रदर्शन के लिए सड़क जाम नहीं कर सकते और सार्वजनिक स्थल पर अनिश्चितकाल के लिए प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है।”

कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से लगातार वहां आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। कश्मीर को लेकर खुर्शीद का यह बोलना कि कश्मीर में सबकुछ सामान्य दिख सकता है, यहां सब कुछ सामान्य लग सकता है, इस तरह का बयान देकर असल में सलमान खुर्शीद क्या यह संदेश देना चाहते हैं कि कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाने को लेकर वहां लोगों में आक्रोश है। क्या यह वही भाषा नहीं है जो पाकिस्तान इस मुद्दे को लेकर हर मंच पर बोलता आया है।

संसद में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी का विदेश में जाकर भारत में लोकतंत्र खत्म होने की बात कहना और अमेरिका और ब्रिटेन से इसमें दखल देने का आह्वान करना, लोकसभा चुनावों में संविधान बदल दिया जाएगा का प्रोपेगेंडा फैलाना, चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार के लिए बार—बार तानाशाही जैसे शब्दों का प्रयोग करना, गाहे—बगाहे अनर्गल बयान देना क्या अराजकतावादी तत्वों, आंदोलनजीवियों को खुराक देकर पोषित करने वाले बयान नजर नहीं आते हैं? क्या कांग्रेस यही चाहती है कि देशविरोधी आंदोलनजीवी भारत में इस तरह के हिंसक प्रदर्शन करने के लिए आमजन को भड़काएं, देश में दंगे हों, यहां भी तख्तापलट हो जाए और कांग्रेस अपनी राजनीतिक रोटियां सेंक सके।

बांग्लादेश में जिस तरह की स्थिति है उस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा एक के बाद एक बेतुके बयान आखिर किसके इशारे पर दिए जा रहे हैं? कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों को लेकर कांग्रेस हाईकमान को जवाब देने, अपने नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की जरूरत है, लेकिन ऐसी उम्मीद नजर नहीं आती है देर सबेर कांग्रेस इन बयानों को नेताओं का निजी बयान बताकर अपना पल्ला झाड़ लेगी, जैसे कि लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस नेता और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा द्वारा भारत में ‘विरासत टैक्स’ लगाए जाने की मांग वाले बयान से कांग्रेस ने पल्ला झाड़ लिया था और उन्हें पद से हटा दिया गया था। ये बात दीगर है कि चुनाव खत्म होने के बाद उन्हें फिर से अध्यक्ष बना दिया गया।

डिस्कलेमर: उपरोक्त विचार लेखक के निजी विचार हैं ।

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