News Room Post

RBI On Banks: अमेरिका और यूरोप के बाद क्या अब भारत के बैंक भी डूबेंगे? आरबीआई गवर्नर से जानिए इस सवाल का जवाब

shaktikant das

कोच्चि। अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) समेत दो बैंक दिवालिया हुए। यूरोप में क्रेडिट सुईस भी संकट में घिरा है। ऐसे में सवाल है कि क्या दुनिया के बड़े देशों के इन नामचीन बैंकों के डूबने का संकट भारत पर भी पड़ेगा? क्या भारत के बैंकों में खाता और डिपॉजिट रखने वालों को सावधान हो जाना चाहिए? इन सभी सवालों का जवाब रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिया है। कोच्चि में शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में कहा कि भारत का घरेलू वित्तीय क्षेत्र स्थिर है। उन्होंने कहा कि हमें डरने की फिलहाल जरूरत नहीं है, क्योंकि हमारा बाहरी कर्ज का प्रबंधन बेहतर है। आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि डॉलर मजबूत हो रहा है, लेकिन इससे भी हमारे लिए समस्या नहीं है।

शक्तिकांत दास ने हालांकि बैंकों को किसी तरह की परिसंपत्ति और देनदारी असंतुलन के प्रति आगाह किया। उन्होंने कहा कि ऐसे असंतुलन वित्तीय स्थिरता के लिए हानिकारक हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका में बैंकिंग क्षेत्र का जो संकट आया, वो इसी तरह के असंतुलन से पैदा हुआ है। आरबीआई गवर्नर ने साथ ही जी-20 की अध्यक्षता पर अपना भाषण फोकस रखा। उन्होंने कहा कि दुनिया की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों को उच्च बाहरी कर्ज जोखिम वाले देशों की मदद करने के लिए एकजुट होकर कोशिश करनी चाहिए। इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि जी-20 देशों को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भी पैसा खर्च करना चाहिए और इससे प्रभावित देशों की मदद करनी चाहिए।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी को खतरनाक बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका के बैंकों पर आया संकट साफ तौर पर वित्तीय प्रणाली में क्रिप्टोकरेंसी के जोखिमों को बताता है। बता दें कि शक्तिकांत दास लगातार क्रिप्टोकरेंसी का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार से ये भी कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी को पूरी तरह बैन किया जाना चाहिए। इसके बाद सरकार ने क्रिप्टो के कारोबार पर कई तरह के सख्त टैक्स लगाए हैं।

Exit mobile version