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Cryptocurrency: दुनिया में सिर्फ लिमिट में ही बनाए जा सकते हैं बिटकॉइन, जानिए क्या है वजह

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नई दिल्ली। साल 2009 में अस्तित्व में क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने काफी लंबा सफर तय कर लिया है। 2010 में कभी 10,000 बिटकॉइन्स में सिर्फ 2 पिज़्जा ही खरीदे गए थे और आज बिटकॉइन का मार्केट कैप क्रिप्टो बाजार में सबसे ज्यादा आंका जाता है। अब बिटकॉइन का बाजार पूंजीकरण 66 ट्रिलियन से भी ज्यादा माना जाता है।जिसकी कीमत आज 47,000 डॉलर यानी 37.30 लाख के ऊपर मानी जा रही है। इसे देखते हुए यह कहा जा सकता  है कि बिटकॉइन का अब कायापलट हो गया है। लेकिन बिटकॉइन माइनिंग की हार्ड लिमिट में अभी तक किसी तरह का कोई बदलाव नहीं देखा जा रहा है। बिटकॉइन के निर्माता कहे जाने वाले सातोषी नाकामोतो ने बिटकॉइन बनाने के साथ ही सोर्स कोड में इसकीमाइनिंग की अपर लिमिट 21 मिलियन तक लगा दी थी। जिसका सीधा मतलब है कि 21 मिलियन से ज्यादा बिटकॉइन माइन नहीं किए जा सकते या इन्हे सर्कुलेशन में नहीं लाया जा सकता। नाकामोतो ने इसपर कुछ साफ नहीं किया कि लिमिट 21 मिलियन पर क्यों रखी गई, लेकिन बहुत से लोग इसे बिटकॉइन के फायदे वाली बात मान रहे हैं।

अब तक कितने बिटकॉइन माइन हुए

बता दें कि अभी तक 18.78 मिलियन बिटकॉइन माइन किए जा चुके हैं। जिसका मतलब है कि दुनिया में कभी भी जितने भी बिटकॉइन रहेंगे उसका लगभग 83 फीसदी हिस्सा अब तक माइन किया जा चुका है। मतलब अब बस लगभग 2 मिलियन बिटकॉइन की माइनिंग की जा सकती है।

कब तक होगा बिटकॉइन माइन 

माना जा रहा है कि यदि सबकुछ ऐसा ही रहा तो, एक दशक में 97 फीसदी बिटकॉइन माइन किए जा चुके होंगे। तो वहीं तीन फीसदी कॉइन अगली एक शताब्दी में माइन हो जाएंगे। इस हिसाब से आखिरी बिटकॉइन सन् 2140 के आसपास माइन किया जाएगा। कहा जा रहा है कि इस माइनिंग के धीमा होने के पीछे की वजह एक प्रकिया है, जिसे हाविंग यानी halving कहते हैं। इसके मुताबिक जिस रेट पर बिटकॉइन जेनरेट किए जाते हैं, यह प्रक्रिया उस रेट को हर चार साल पर 50 फीसदी तक घटा देती है।

बिटकॉइन का सफर

इस बात पर भी स्टडी की जा रही है कि हार्ड लिमिट का बिटकॉइन पर क्या असर हुआ है। लेकिन लॉन्च होने के एक दशक बाद तक इसकी कीमतें अप्रत्याशित ढंग से बढ़ी हैं। साल 2009 में एक ब्लॉक की माइनिंग से 50 बिटकॉइन जेनरेट किए जा सकते थे, लेकिन उस वक्त इसकी कीमत काफी कम थी।

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