मुंबई। अगर आपने कर्ज यानी लोन लिया है और ये उम्मीद कर रहे हैं कि आपको बढ़ती ईएमआई से राहत मिलेगी, तो फिलहाल ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसकी वजह है महंगाई की दर। अक्टूबर के महीने में महंगाई की जो दर एनएसएसओ ने जारी की है, वो 6.21 फीसदी है। यानी रिजर्व बैंक यानी आरबीआई को सरकार की तरफ से दिए गए स्तर से भी ज्यादा। जब महंगाई की दर निश्चित स्तर से ज्यादा है, तो आरबीआई शायद ही रेपो रेट में कमी करे और ऐसा न करने पर आपके कर्ज की ईएमआई भी कम नहीं होने वाली।
सरकार ने महंगाई की सीमा 4 फीसदी तय की है। इसमें 2 फीसदी कम या ज्यादा को मान्य किया जा सकता है, लेकिन ताजा महंगाई की दर अधिकतम 6 फीसदी की सीमा पार कर चुकी है। अगर फरवरी 2025 तक महंगाई की दर 4 से 5 फीसदी के बीच आई, तो आप उम्मीद कर सकते हैं कि आरबीआई रेपो रेट कम करे और तब ईएमआई में भी कमी आए। अगर महंगाई की दर 6 फीसदी बनी रही या इसमें और बढ़ोतरी हुई, तो कर्ज पर ईएमआई कम होना तो दूर और बढ़ भी सकती है। इस साल अगस्त में महंगाई की दर 3.65 फीसदी थी। जबकि, सितंबर में ये फिर बढ़कर 5.58 फीसदी पर पहुंच गई थी। नतीजे में आरबीआई ने बीते दिनों हुई एमपीसी की मीटिंग में रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर ही बरकरार रखने का फैसला किया था।
रूस और यूक्रेन के बीच फरवरी 2022 से युद्ध शुरू होने के बाद पूरी दुनिया में महंगाई की मार दिखने लगी। भारत में भी महंगाई बढ़ी। इसे थामने के लिए रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया। रेपो रेट के बढ़ने से कर्ज लेने वालों की ईएमआई भी बढ़ती गई। मई 2022 में महंगाई की दर 7.80 फीसदी हो गई थी। उस वक्त रेपो रेट 4 फीसदी था। महंगाई लगातार जारी रहने पर आरबीआई ने अपनी हर एमपीसी की बैठक के बाद रेपो रेट बढ़ाना शुरू किया और 2023 की फरवरी में इसे 6.50 फीसदी कर दिया था।