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कल वैज्ञानिकों ने WHO को घेरा, आज संस्था ने दी सफाई हवा से कोरोना फैलने की बात साबित नहीं हुई

डब्ल्यूएचओ के एक सर्वे के अनुसार 73 देशों ने चेताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उनके यहां एड्स की जीवनरक्षक दवाओं का स्टॉक ख़त्म होने वाला है। वहीं, 24 देशों ने कहा कि उनके यहां एड्स की ज़रूरी दवाएं या तो बहुत कम हैं या उनकी सप्लाई बुरी तरह बाधित हुई है।

नई दिल्ली। कोरोना को लेकर चल रहे शोध में पाया गया था कि, ये वायरस हवा के संपर्क में आने से भी फैलता है। इसको लेकर 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने कोविड-19 को लेकर एक ओपन लेटर लिखा और उसमें WHO पर भी सवाल उठाया। पत्र में लिखा गया है कि कोरोनावायरस हवा के जरिए भी फैलता है। ये दावा इन वैज्ञानिकों ने किया है लेकिन डब्ल्यूएचओ इसे लेकर गंभीर नहीं है इतना ही नहीं WHO ने अपनी गाइडलाइंस में भी इस पर चुप्पी साधी हुई है।

मुंह से निकली सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है कोरोना

WHO पर उठाए गए इस तरह के सवालों पर अब इस संस्था ने सफाई दी है। दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि सार्स-कोविड-2 वायरस जो लोगों में कोविड-19 बीमारी की वजह बनता है, मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के नाक और मुंह से निकली सूक्ष्म बूंदों के माध्यम से फैलता है। लेकिन क्लीनिकल इंफ़ेक्शियस डिज़ीज़ जर्नल में सोमवार को प्रकाशित हुए एक खुले ख़त में, 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने इस बात के प्रमाण दिए हैं कि ये फ़्लोटिंग वायरस है जो हवा में ठहर सकता है और सांस लेने पर लोगों को संक्रमित कर सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को लिखे इस खुले खत में वैज्ञानिकों ने गुज़ारिश की है कि अंतरराष्ट्रीय संस्था को कोरोना वायरस के इस पहलू पर दोबारा विचार करना चाहिए और नए दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।

तारिक जसारेविक जोकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रवक्ता हैं, उन्होंने कहा है कि,  ‘संस्था इस लेख से अवगत है और अपने तकनीकी विशेषज्ञों के साथ इसकी सामग्री की समीक्षा कर रही है।’ हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि कोरोना वायरस हवा में कैसे फैलता है। लेकिन अगर ऐसा हुआ तो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वायरस से बचाव के अब तक जो सुझाव दिये गए हैं, उनमें बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

दिशा-निर्देशों में तब्दीली करनी पड़ सकती है

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लोगों में कम से कम 3.3 फुट की दूरी होने से कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम संभव है। जो देश विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस सुझाव को गंभीरता से लागू करने का प्रयास कर रहे थे, उन्हें भी अपने दिशा-निर्देशों में तब्दीली करनी पड़ सकती है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन फ़िलहाल अपनी पुरानी समझ को ही पुख्ता और सही मान रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना संकट की वजह से एड्स की जीवनरक्षक दवाओं की आपूर्ति बाधित हुई है। डब्ल्यूएचओ के एक सर्वे के अनुसार 73 देशों ने चेताया है कि कोविड-19 महामारी के कारण उनके यहां एड्स की जीवनरक्षक दवाओं का स्टॉक ख़त्म होने वाला है। वहीं, 24 देशों ने कहा कि उनके यहां एड्स की ज़रूरी दवाएं या तो बहुत कम हैं या उनकी सप्लाई बुरी तरह बाधित हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रस एडहॉनम गेब्रियेसुस ने इस स्थिति को ‘बेहद चिंताजनक’ बताया है। उन्होंने कहा, “दुनिया के देशों और उनके सहयोगियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि एचआईवी से ग्रसित लोगों को जीवनरक्षक दवाएं मिलती रहें। कोविड-19 की वजह से एड्स की वो जंग नहीं हार सकते जिस पर हमने मुश्किल से जीत हासिल की थी।”

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