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हैदराबाद में सीवर के पानी में मिला कोरोनावायरस आखिर कितना घातक है? जानिए वैज्ञानिकों की राय

नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना के स्वरूप को लेकर तमाम तरह की रिपोर्ट देखने को मिली हैं। भारत में सीवर के पानी में कोरोनावायरस मिलने  से हलचल मची हुई है। बता दें कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद के सीवर के पानी में कोरोना वायरस के अंश मिले हैं। इसके लेकर हैदराबाद में मौजूद सेंटर फॉर मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) की हालिया रिपोर्ट में दावा किया गया है।

फिलहाल सीवर के पानी में कोरोनावायरस मिलने को लेकर सीसीएमबी का ये भी कहना है कि वायरस के जो अंश पाए गए हैं वो संक्रामक नहीं हैं। भारत के अग्रणी बायोलॉजी रिसर्च इंस्टीट्यूट में से एक सीसीएमबी का कहना है कि इस मामले में किसी खास इलाके के सीवर के पानी के पूरी जांच करने पर संक्रमण के फैलने को लेकर सटीक जानकारी हासिल हो सकती है। बीबीसी ने सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा से कोरोना वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन यानी प्रकार, कोरोना की वैक्सीन और कोरोना वायरस की संक्रमण क्षमता समेत कई मुद्दों पर बात की।

सीसीएमबी ने सीवर के पानी का सैंपल टेस्ट क्यों किया, इसको लेकर राकेश मिश्रा कहते हैं, ‘सेरोलॉजिकल टेस्ट, रैपिड एंटीजेन टेस्ट या फिर किसी और कोरोना टेस्ट से ही व्यक्ति के संक्रमित होने की जानकारी मिल सकती है, लेकिन इसके लिए आपको प्रत्येक व्यक्ति का सैंपल लेना होता है। लेकिन सीवर के पानी से भी आप वायरस का पता कर सकते हैं, हम इसी की संभावना तलाश कर रहे थे। हम सीवर के पानी में वायरस के अंश देखने में कामयाब हुए और साथ ही ये भी पता लगा सके कि पानी में वायरस की मात्रा कितनी है।’

उन्होंने कहा कि, ‘इस तरीके का फायदा ये है कि आपको लोगों के पास जाने की बजाय सीवर पा पानी कई बार इकट्ठा कर उसका टेस्ट करना है। इसमें मौजूद वायरस का लोड आपको इस बात का इशारा देगा कि इलाके में संक्रमण कितना अधिक है और शहर के इस इलाके में वायरस लोड कितना है।’

सीसीएमबी ने अपनी रिसर्च में पाया है कि जिस इलाके में सीवर के पानी का टेस्ट किया गया, वहां करीब छह लाख लोग संक्रमित हो सकते हैं। ये आंकड़ा तेलंगाना सरकार के जारी किए आंकड़ों से मेल नहीं खाते, ऐसे में ये कितना सटीक है? राकेश मिश्रा कहते हैं, ‘नहीं सरकार के जारी किए गए आंकड़े अलग नहीं हैं। आप देखिए, सरकार ने 24,000 टेस्ट किए, जिनमें से 1,700 लोगों के नतीजे पॉजिटिव आए हैं। जो टेस्ट किए गए हैं वो रैपिड एंटीजेन टेस्ट हैं, जो कम सेन्सिटिव माने जाते हैं। इसका मतलब ये है कि आरटी-पीसीआर टेस्ट का तरीका अपनाया जाता तो टेस्ट का नतीजा शायद 2,000 से 2,400 तक होता।’

मिश्रा ने कहा कि, ‘ये टेस्टिंग का सस्ता और भरोसेमंद तरीका है और आपको शहर के दस हजार लोगों के सैम्पल टेस्ट करने की जरूरत नहीं। आपको केवल दस सीवर प्लांट में जाकर सैम्पल टेस्ट करना होता है और आप पूरे शहर को लेकर जानकारी दे सकते हैं। ये सटीक और असरदार तरीका है और शहर में संक्रमण का पता लगाने के लिए यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में इस तरीके का इस्तेमाल किया जा रहा है।’ राकेश मिश्रा कहते हैं कि हमें पानी में वायरस के अंश जरूर मिले हैं, लेकिन वो आरएनए के टूटे हुए टुकड़े हैं। ये कतई संक्रामक नहीं है और इस कारण चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे को फैलता है, आपको बारिश के पानी या फिर सीवर के पानी से डरने की जरूरत नहीं है।

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