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Antibodies: अब कोरोनावायरस को रोकने में मिलेगी मदद, इससे लड़ने वाली एंटीबॉडी की हुई पहचान

Corona Pic

नई दिल्ली। कोरोना के बढ़ते मामलों की बीच अब कोरोना की वैक्सीन की जरूरत तेज होती जा रही है। बता दें दुनियाभर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के संक्रमण की रफ्तार एक बार फिर तेज हो गई है। इसके इलाज के लिए जहां इसके वैक्सीन की तलाश में कुछ देश लगे हैं तो वहीं कई देश वैक्सीन (vaccine) बनाने के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। बता दें कि कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) के बीच अब वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस से लड़ने में कारगर एक एंटीबॉडी (Antibodies) की पहचान की है। ये एंटीबॉडी लोगों को कोरोना से बचाने में मदद करेगी। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि ये एंटीबॉडी रोगाणुओं को कोशिकाओं में प्रवेश करने और प्रजनन करने से रोक सकता है।

इसको लेकर जर्नल सेल पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में बताया गया है कि कोरोना वायरस पर रिसर्च कर रहे जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडीजेनेरेटिव एंड चेरिटी यूनिवर्सिटामेडिजिन बर्लिन के वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है।

इन वैज्ञानिकों ने कोरोना संक्रमित मरीजों के खून से 600 अलग-अलग प्रकार की एंटीबॉडी लेकर इसकी जांच की। इस जांच में वैज्ञानिकों ने पाया कि इन एंटीबॉडी के जरिए एक कृत्रिम एंटीबॉडी विकसित हुआ। न्यूट्रलाइजिंग नाम की इस कृत्रिम एंटीबॉडी का कोरोना वायरस पर असर देखा गया है।

वैज्ञानिकों ने कोरोना के विनाश को लेकर कहा ​कि कृत्रिम एंटीबॉडी न्यूट्रलाइजिंग के जरिए हमने काफी हद तक कोरोना का खात्मा करने में सफलता हासिल कर ली है हालांकि इस पर अभी और भी काफी शोध किया जाना बाकी है। वैज्ञानिकों ने कहा कि हमने शोध में पाया है कि यह एंटीबॉडी रोगाणुओं को कोशिकाओं में प्रवेश करने और प्रजनन करने से रोक सकता है।

वहीं दूसरी तरफ नोवावैक्स जोकि अमेरिका की दवा कंपनी है उसने कोविड-19 के अपने संभावित टीके का ब्रिटेन में बीमारी के आखिरी चरण के स्तर पर किए जाने वाले अहम परीक्षण को शुरू किया है। इस टीके को लेकर कंपनी काफी उत्साहित है। बता दें कि किसी भी टीके का आखिरी स्तर पर परीक्षण उसके विपणन से पहले सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बड़े स्तर पर किया जाता है। इसको लेकर कंपनी का कहना है कि ब्रिटेन में कोरोना वायरस का जो मौजूदा उच्चस्तर है, उसमें परीक्षण के परिणाम त्वरित रूप से मिल सकते हैं। कंपनी इस टीके के आखिरी ट्रायल को को लेकर कहा कि इस परीक्षण में वह 18 साल से 84 साल की उम्र के 10 हजार लोगों पर टीके के प्रभाव का अध्ययन करेगी। कंपनी ने कहा कि इनमें से कम से कम 25 प्रतिशत लोग 65 साल से अधिक उम्र के होंगे।

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