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Thank God: अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म थैंक गॉड क्या कहानी के पाप और पुण्य का उचित हिसाब कर पाती है, देखिए थैंक गॉड रिव्यू

Thank God: अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म थैंक गॉड क्या कहानी के पाप और पुण्य का उचित हिसाब कर पाती है, देखिए थैंक गॉड रिव्यू चलिए जानते हैं कि आखिर थैंक गॉड फिल्म देखने के बाद क्या इस फिल्म के डायरेक्टर और एक्टर के लिए थैंक गॉड बनता है ?

नई दिल्ली। काफी इंतज़ार के बात फिल्म थैंक गॉड (Thank God) रिलीज़ हो गई है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra), अजय देवगन (Ajay Devgan) और रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh) हैं। फिल्म को डायरेक्ट मशहूर निर्देशक इंद्र कुमार (Indra Kumar) ने किया है। फिल्म की कहानी को आकाश कौशिक और मधुर शर्मा ने लिखा है और इस फिल्म का छायांकन (Cinematography) असीम बजाज ने किया है। थैंक गॉड 2 घंटे 1 मिनट की फिल्म है। लेकिन क्या आपके ये दो घंटे मनोरंजक होने वाले हैं या फिर आपके समय की बर्बादी है ये फिल्म, ये आप इस फिल्म के रिव्यू (Thank God Review) के जरिए जान सकते हैं। यहां हम थैंक गॉड फिल्म की कहानी के बारे में बताएंगे। साथ ही व्यक्तिगत रूप से फिल्म की समीक्षा (Thank God Movie Review) भी करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि आखिर थैंक गॉड फिल्म देखने के बाद क्या इस फिल्म के डायरेक्टर और एक्टर के लिए थैंक गॉड बनता है ?

किरदारों की भूमिका

इस फिल्म की मुख्य भूमिका में दो लोग हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा और अजय देवगन। अजय देवगन ने फिल्म में चित्रगुप्त का किरदार निभाया है। वहीं अयान कपूर मशहूर रियल एस्टेट के बिजनेस को संभालते हैं जिसका किरदार सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया है। रूही कपूर, अयान कपूर की पत्नी हैं, जिसका किरदार रकुल प्रीत सिंह ने निभाया है। सीमा पाहवा ने अयान कपूर की मां का किरदार निभाया है। इसके अलावा अन्य किरदार के रूप में कीकू शारदा, कंवलजीत सिंह, उर्मिला कोठारे, महेश बलराज, और सुमित गुलाटी हैं। नोरा फतेही (Nora Fatehi) भी फिल्म में एक मुख्य आकर्षण के तौर पर दिखती हैं।

कहानी क्या है

कहानी संक्षेप में कहते हैं। अयान कपूर जो बहुत बड़े रियल स्टेट का बिजनेस करता है। लेकिन अब उसका बिजनेस बड़े से छोटा हो गया है और उसकी हालत ऐसी हो गई है कि उसको खुद का ही बंगला बेचना पड़ रहा है। अयान कपूर के अंदर क्रोध, ईर्ष्या, घमंड, लालच, काम-वासना, और चालाकी सब कुछ है। वो अपने व्यापार के लिए किसी के साथ भी छल कर सकता है। इतनी बुराइयां हैं, वो इतने संकट में है लेकिन मंदिर जाना नहीं भूलता है| यहां तक अपने बेटी के जन्मदिन के दिन भी उसके पास समय नहीं होता है। लेकिन वो मंदिर जाता है। जब वो मंदिर से लौट रहा होता है तब फ़ोन पर बात करते वक़्त वो एक दुर्घटना का शिकार हो जाता है, और उसकी आंख सीधे चित्रगुप्त के पास खुलती है। अब सवाल बनता है की अयान कपूर के साथ क्या होगा ? क्या अयान कपूर अब कभी अपने परिवार से मिल पाएगा ? आखिर क्यों अयान, चित्रगुप्त के पास पहुंच गया है ? इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद ही मिलेंगे।

कैसी है कहानी

इस विषय पर भले ही दर्जनों फिल्म बन चुकी हों। लेकिन एक बार फिर से किसी फिल्ममेकर ने अपने अंदाज़ से कुछ कहने का प्रयास किया है। इसलिए जरूरी यही है की हम फिल्म का तुलनात्मक अध्ययन ना करके, इस फिल्म की समीक्षा करें की आखिर ये अच्छी है या बुरी। मेरी व्यक्तिगत राय है की दीपावली के पर्व पर जब ये फिल्म रिलीज़ हुई तो ये एक जरूर देखी जाने वाली फिल्म है क्योंकि इसमें ठीक ठाक हास्य है, सीखने वाली बातें हैं, और इमोशन है। लेकिन हम यहां पर आपको इस फिल्म के बारे में बिंदुवार बताएंगे जिसके बाद आपको तय करना है कि आपको ये फिल्म देखनी है या नहीं।

इस फिल्म में आपको उपरोक्त बातें देखने को मिलेंगी। एक बढ़िया कहानी, देखने को मिलेगी। फिल्म देखने के बाद आप फिल्म से जो सीखें वो अपने दोस्तों, अपने परिवार वालों से साझा कर सकते हैं। इस परम्परा की शुरआत करते हुए मैं वो विचार साझा करता हूं जो मैंने फिल्म से सीखा है – फिल्म बताती है की आपके जीवन में चमत्कार होते हैं और जब आपको एहसास हो कि आपकी जिंदगी में कोई चमत्कार हुआ है तो ईश्वर को थैंक गॉड जरूर कहें।

जाते फिल्म के कुछ संवाद आपके हवाले हैं

“घर बेचने के चक्कर में मैं अपने घरवालों को ही भूल गया”

“मिटाने गए थे पाप जहां, वहां एक और पाप कर आए”

“100 अच्छी चीज़ें हो जाएं लेकिन तुम्हारा ध्यान सिर्फ बुरी चीज़ों पर जाता है”

 

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