Thank God: अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म थैंक गॉड क्या कहानी के पाप और पुण्य का उचित हिसाब कर पाती है, देखिए थैंक गॉड रिव्यू

Thank God: अजय देवगन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की फिल्म थैंक गॉड क्या कहानी के पाप और पुण्य का उचित हिसाब कर पाती है, देखिए थैंक गॉड रिव्यू चलिए जानते हैं कि आखिर थैंक गॉड फिल्म देखने के बाद क्या इस फिल्म के डायरेक्टर और एक्टर के लिए थैंक गॉड बनता है ?

Avatar Written by: October 26, 2022 3:15 am

नई दिल्ली। काफी इंतज़ार के बात फिल्म थैंक गॉड (Thank God) रिलीज़ हो गई है। इस फिल्म में मुख्य भूमिका सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra), अजय देवगन (Ajay Devgan) और रकुल प्रीत सिंह (Rakul Preet Singh) हैं। फिल्म को डायरेक्ट मशहूर निर्देशक इंद्र कुमार (Indra Kumar) ने किया है। फिल्म की कहानी को आकाश कौशिक और मधुर शर्मा ने लिखा है और इस फिल्म का छायांकन (Cinematography) असीम बजाज ने किया है। थैंक गॉड 2 घंटे 1 मिनट की फिल्म है। लेकिन क्या आपके ये दो घंटे मनोरंजक होने वाले हैं या फिर आपके समय की बर्बादी है ये फिल्म, ये आप इस फिल्म के रिव्यू (Thank God Review) के जरिए जान सकते हैं। यहां हम थैंक गॉड फिल्म की कहानी के बारे में बताएंगे। साथ ही व्यक्तिगत रूप से फिल्म की समीक्षा (Thank God Movie Review) भी करेंगे। तो चलिए जानते हैं कि आखिर थैंक गॉड फिल्म देखने के बाद क्या इस फिल्म के डायरेक्टर और एक्टर के लिए थैंक गॉड बनता है ?

किरदारों की भूमिका

इस फिल्म की मुख्य भूमिका में दो लोग हैं। सिद्धार्थ मल्होत्रा और अजय देवगन। अजय देवगन ने फिल्म में चित्रगुप्त का किरदार निभाया है। वहीं अयान कपूर मशहूर रियल एस्टेट के बिजनेस को संभालते हैं जिसका किरदार सिद्धार्थ मल्होत्रा ने निभाया है। रूही कपूर, अयान कपूर की पत्नी हैं, जिसका किरदार रकुल प्रीत सिंह ने निभाया है। सीमा पाहवा ने अयान कपूर की मां का किरदार निभाया है। इसके अलावा अन्य किरदार के रूप में कीकू शारदा, कंवलजीत सिंह, उर्मिला कोठारे, महेश बलराज, और सुमित गुलाटी हैं। नोरा फतेही (Nora Fatehi) भी फिल्म में एक मुख्य आकर्षण के तौर पर दिखती हैं।

कहानी क्या है

कहानी संक्षेप में कहते हैं। अयान कपूर जो बहुत बड़े रियल स्टेट का बिजनेस करता है। लेकिन अब उसका बिजनेस बड़े से छोटा हो गया है और उसकी हालत ऐसी हो गई है कि उसको खुद का ही बंगला बेचना पड़ रहा है। अयान कपूर के अंदर क्रोध, ईर्ष्या, घमंड, लालच, काम-वासना, और चालाकी सब कुछ है। वो अपने व्यापार के लिए किसी के साथ भी छल कर सकता है। इतनी बुराइयां हैं, वो इतने संकट में है लेकिन मंदिर जाना नहीं भूलता है| यहां तक अपने बेटी के जन्मदिन के दिन भी उसके पास समय नहीं होता है। लेकिन वो मंदिर जाता है। जब वो मंदिर से लौट रहा होता है तब फ़ोन पर बात करते वक़्त वो एक दुर्घटना का शिकार हो जाता है, और उसकी आंख सीधे चित्रगुप्त के पास खुलती है। अब सवाल बनता है की अयान कपूर के साथ क्या होगा ? क्या अयान कपूर अब कभी अपने परिवार से मिल पाएगा ? आखिर क्यों अयान, चित्रगुप्त के पास पहुंच गया है ? इन सभी सवालों के जवाब आपको फिल्म देखने के बाद ही मिलेंगे।

कैसी है कहानी

इस विषय पर भले ही दर्जनों फिल्म बन चुकी हों। लेकिन एक बार फिर से किसी फिल्ममेकर ने अपने अंदाज़ से कुछ कहने का प्रयास किया है। इसलिए जरूरी यही है की हम फिल्म का तुलनात्मक अध्ययन ना करके, इस फिल्म की समीक्षा करें की आखिर ये अच्छी है या बुरी। मेरी व्यक्तिगत राय है की दीपावली के पर्व पर जब ये फिल्म रिलीज़ हुई तो ये एक जरूर देखी जाने वाली फिल्म है क्योंकि इसमें ठीक ठाक हास्य है, सीखने वाली बातें हैं, और इमोशन है। लेकिन हम यहां पर आपको इस फिल्म के बारे में बिंदुवार बताएंगे जिसके बाद आपको तय करना है कि आपको ये फिल्म देखनी है या नहीं।

  • फिल्म शुरुआत में ही अपनी शैली तक पहुंचकर आपको हास्य / कॉमेडी देने की शुरुआत कर देती है।
  • सिद्धार्थ मल्होत्रा और रकुल प्रीत सिंह की जोड़ी आकर्षक और रोमांस से भरी हुई लगती है। इसके अलावा फिल्म के शुरुआत में मौजूद संगीत, फिल्म में कॉमेडी के साथ साथ थोड़ी जान डाल देता है।
  • इस फिल्म को आज के परिपेक्ष्य में बनाने की कोशिश करी गई है। जैसे चित्रगुप्त का मॉडर्न लुक, चित्रगुप्त के महल का मॉडर्न लुक, पृथ्वीलोक को देखने के लिए टीवी और बात करने के लिए मॉडर्न जमाने का मोबाइल फोन। ये सब देखकर, फिल्म आकर्षक बनने लगती है।
  • इंद्र कुमार कॉमेडी फिल्में बनाते हैं लेकिन यहां उन्होंने कॉमेडी के साथ कई बातें सिखाने का भी काम किया है। कॉमेडी के साथ ऐसी बातें कहना, जो सीख दें जाएं, बतौर निर्देशक इंद्र कुमार की तारीफ बनती है। इंद्र कुमार ने बड़े ही आहिस्ता से और आसानी से लोगों को कुछ समझाने की कोशिश की है। लेकिन ये कॉमेडी अंदाज़ में कहने का तरीका, लोगों के दीमाग में कितने देर और दिन तक बना रह पाएगा इस पर विमर्श करने की जरूरत है।
  • फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक रोमांटिक,आत्मीय और मेलोडियस है। जो कहानी में निखार लाने का काम करता है।
  • पटकथा को एक नए और विशिष्ट ढंग से लिखा गया है। जैसे पाप और पुण्य का हिसाब काली और सफ़ेद बॉल करती हैं और आपके पाप और पुण्य करने पर, आपके घड़े में बॉल डालने का हिसाब भी कुछ लोग करते हैं। (ये आपको फिल्म देखकर ही पता चलेगा )
  • ज्यादातर लोगों के मन में ईर्ष्या, क्रोध , घमंड, वासना,भ्रम और जलन होती है लेकिन लोग अपनी इन बुराइयों को भी अच्छा साबित करने में लगे रहते हैं। फिल्म यही दिखाने का प्रयास करती है।
  • एक बैंक वाला सीन है उसमें कुछ कॉमेडी भी है और कुछ इमोशन भी है।
  • एक जगह पर चित्रगुप्त को हनुमान जी का कॉल आता है ये कॉल आपके दिल और चेहरे पर ख़ुशी और हंसी दोनों ला सकता है।
  • जैसे जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, ये बताती है कैसे आपके जीवन के हर पहलु, एक दूसरे पहलू से जुड़े हुए हैं। इसके अलावा फिल्म का पहला भाग इतना तेज़ है की आपको पता भी नहीं लगेगा की वो कब खत्म हो गया है।
  • फिल्म का दूसरा भाग भी बेहतरीन ढंग से खुलता है और अयान की मां और अयान के बीच का एक दृश्य काफी हास्यात्मक और भावनात्मक है जिसे जरूर देखना चाहिए।
  • फिल्म दिखाती है कि कैसे जब आप जान जाते हो की भगवान आपके सामने है और आप पर नज़र रखे हुए है तो आप गलत काम को करने से बचते हैं।
  • नोरा फतेही जो डांस करते हैं वो कामुक है, रोमांटिक है और लुभाने वाला है।
  • इस फिल्म में कॉमेडी भी है, रोमांस भी है, मनोरंजन भी और इमोशन भी है।
  • एक जगह पर एक दृश्य के माध्यम से, रूपक का प्रयोग करते हुए फिल्म में दिखाया गया है कैसे जब आप कुछ गलत करना बंद करते हो या गलत आदतें छोड़ने का प्रयास करते हो, तब दुनिया आप पर हंसती है।
  • अगर आप पुण्य करेंगे, अच्छा काम करेंगे तो आपकी सांसे भी बढ़ती जाएंगी ये फिल्म ये कहने का भी प्रयास करती है। लेकिन ये कहती कैसे है ये आपको फिल्म देखकर ही मनोरंजक लगेगा।
  • अजय देवगन ने जो जिंदगी का गेम सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ खेला है वो अच्छा है और दोनों ने कलाकारी भी अच्छी करी है।
  • फिल्म में अच्छे ट्विस्ट एंड टर्न भी हैं।
  • फिल्म रूपक के सहारे बताती है कैसे हर बार जब आप पर मुसीबत आती है या आप दुर्घटना का शिकार होते हैं तभी आप अपने बुरे कर्मों को भी याद कर पाते हैं। आपके एक्सीडेंट के बाद आपकी सोयी हुई आंखो में आपके सभी बुरे कर्म., सामने किसी बुरी फिल्म की तरह चल रहे होते हैं।
  • फिल्म बताती है की कैसे पुण्य कमाने में इतने फायदे हैं की जो कार्य आप पूरी जिंदगी पाप करके नहीं कर पाते हैं, आपके एक पुण्य के कारण भगवान उसे चुटकियों में कर देते हैं।
  • जब तीन जिंदगी मौत की दहलीज़ पर खड़ी हों और उन तीन जिंदगी में एक जिंदगी आपकी हो तब आप किसे बचाएंगे ? इसका जवाब है आप किसी को नहीं बचा पाएंगे बल्कि आपके व्यक्तिगत पुण्य ही आपको बचा सकते हैं। ये फिल्म यही बताती है।
  • फिल्म बताती है की कैसे आप भले पूरी जिंदगी पुण्य कर लें लेकिन अगर आपसे मरते वक़्त अपने पुण्यों का दान करने को कहा जाए और आप न कर पाएं तो आपके पुण्य का घड़ा खाली हो जाएगा और पाप का घड़ा बढ़ जाएगा। (अब ये सभी खूबसूरत और ज्ञानवर्धक बातें दिखाईं कैसे हैं उसकी कहानी क्या है इसके लिए आपको फिल्म देखना होगा)
  • पुरानी बातें हैं की हम एक बार जीते हैं और एक बार मरते हैं लेकिन फिल्म बताती है कैसे पाप और पुण्य के खेल में आप कई बार मरते हैं और कई बार जीते हैं।
  • अजय देवगन की एंट्री कुछ स्लो है। हमेशा की तरह बॉलीवुड अपने हीरोज को हीरोइक एंट्री देने में असफल हो रहा है।
  • पहले 15 मिनट कुछ खास असर नहीं डालते हैं। शुरुआत में कभी कभी ये भी लगता है की ये बच्चों वाली कॉमेडी है।

इस फिल्म में आपको उपरोक्त बातें देखने को मिलेंगी। एक बढ़िया कहानी, देखने को मिलेगी। फिल्म देखने के बाद आप फिल्म से जो सीखें वो अपने दोस्तों, अपने परिवार वालों से साझा कर सकते हैं। इस परम्परा की शुरआत करते हुए मैं वो विचार साझा करता हूं जो मैंने फिल्म से सीखा है – फिल्म बताती है की आपके जीवन में चमत्कार होते हैं और जब आपको एहसास हो कि आपकी जिंदगी में कोई चमत्कार हुआ है तो ईश्वर को थैंक गॉड जरूर कहें।

जाते फिल्म के कुछ संवाद आपके हवाले हैं

“घर बेचने के चक्कर में मैं अपने घरवालों को ही भूल गया”

“मिटाने गए थे पाप जहां, वहां एक और पाप कर आए”

“100 अच्छी चीज़ें हो जाएं लेकिन तुम्हारा ध्यान सिर्फ बुरी चीज़ों पर जाता है”